मां-बाप को ही सफलता का पूरा श्रेय संतान देने लगे तो समझिए, पिता का जीवन सार्थक हो गया- प्रो विनय वर्मा
विनय कुमार परिहार।
मोतिहारी। मां-बाप को उसकी संतानें अगर देव-तुल्य मानने लगे। उनके वचन को अनमोल सुक्ति समझने लगे। उनके आदर्शों को सर्वाधिक अनुकरणीय बताए व उनके द्वारा दिखाए गये रास्तों को ही सफलता का सोपान माने। सफल होने पर सार्वजनिक मंचों पर यह कहे कि आज वो जो भी है अपने पिता व माता की बदौलत है। तब इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐसे मां-बाप बेहद ही सौभाग्यशाली है। यह भी माना जएगा कि ऐसे गार्डियन का जीवन सार्थक हो गया।
मौका था प्रो विनय वर्मा की शादी की सालगिरह की 50 वीं वर्षगांठ का-
इस तरह के संदेश लोगों को मिला बीते 30 अप्रैल को। जब जिले के काफी लोकप्रिय व हरदिल अजिज महाराजा हरेन्द्र किशोर सिंह कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो विनय कुमार वर्मा व उनकी अर्द्धांगिनी के वैवाहिक जीवन के सफल 50 बसंत पूरे करने के अवसर पर। इस इस मौके पर बेहिसाब जश्न व उल्लास का माहौल था। उस दिन शहर के अधिकांश गण्मान्य लोगों का रूख प्रो वर्मा के निवास की तरफ ही था। गीत-संगीत की महफिल सजी थी। लजीज पकवानों के जायके का लुत्फ भी उठाया जा रहा था। इस माहौल में उनके पुत्र ने अपने पिता के बारे में जो बाते कहीं वह लोगों के दिलों दिमाग बड़ा ही प्रेरक असर किया। जेहन में उदात भाव भी अंकुरित हुए।
पिता की जीवन शैली की बखान पर लोग हुए भावुक-
बीते 30 अप्रैल को शहर के ठाकुर बाड़ी चित्रगुप्त स्थान के समीप अपने निवास पर रंगारंग कार्यक्रम के बीच वे अपनी शादी की 50 वीं सालगिरह मना रहे थे। इस मौके पर प्रो वर्मा के सुपुत्र सुधांशु रंजन ने अपने पिता की जीवन शैली व उनके आदर्शों के बारे में खुले मंच से जो उद्गार व्यक्त किए उसे सुनकर कार्यक्रम में उपस्थित गेस्ट व गणमान्य लोग भावुक हो गए। यह भावुकता लोगों की खुशी के थे। आज जबकि अधिकांश सफल लोग अपने गुणगान करते नहीं थकते। यह बताने को नहीं चूकते कि उनके मां-बाप ने उनके लिए कुछ भी नहीं किया। यह भी कि आज वे जो भी खुद की बदौलत है। उन्हें यह भी बताने में संकोच नहीं होता कि पिता ने समय पर स्कूल व ट्यूशन के फी भी नहीं भरे। आज के ऐसे परिवेश के बीच इसके उलट एक पुत्र का अपने पिता के बारे में महान आदर्शवादी बताना लोगों सचमुच सुकून दे गया।
हमारे पिता दुनिया से सबसे अनुशासित, लोकप्रिय व अनुभवी- सुधाशु्
कार्यक्रम के बीच थोड़ी देर के लिए गीत-संगीत के दौर का विराम ही हुआ था कि प्रो वर्मा के पुत्र सुधांशु ने स्टेज पर जाकर माइक थाम लिया और बताने लगे अपने पिता के मिली सीख के बारे में। सुधांशु ने बताया कि उनके पिता जिले के काफी मशहूर शख्सिय हैं। उन दिनों जब वे सभी भाई किसी व्यवासय से नहीं जुड़े थे। किसी तरह की जिम्मेवारी नहीं थी। तो उनसे कुछ गलतियां भी हो जाती थी। तब लोगों ने हमें यह कहकर माफ कर दिया कि जाने दो ये प्रो विनय वर्मा के बेटे हैं। बताया कि उनके पिता भोजन के बाद अपने जूठे बर्तन खुद साफ करते हैं। उनके पिता प्रो वर्मा का मानना है उनके जूठे बर्तन दूसरा क्यों धोए। जबकि उनके घर कई बहुएं हैं। खाने की थाली में एक भी जूठन नहीं छोड़ते। बताते हैं कि खाना प्रकृति प्रदत्त संसाधन है। इसपर केवल आपका अधिकार नहीं है। आपको इसे बर्बाद करने का कोई हक नहीं है। बताया कि वे ये सभी चीजें शुरू में हम भाइयों को अजीब लगती थी। लेकिन बाद में अखबारों के संपादकीय पन्नों पर ऐसी ही बाते पढ़ने को मिली। तब यकीन हो गया कि उनके पिता के विचार व कर्म कितने उत्तम हैं।
कौन हैं प्रो विनय वर्मा-
वैसे तो प्रो विनय कुमार वर्मा किसी परिचय के माहताज नहीं है। फिर भी नए जेनरेशन को जानने के लिए बता दे कि प्रो वर्मा जेपी आंदोलन के अग्रणी नेता रहे हैं। पीजी करने के बाद 1968 में उनकी नियुक्ति शहर के एमएस कॉलेज में व्याख्यात के पद पर हुई। लेकिन कॉलेज में ज्यादा दिनों तक मन नहीं रमा। वे जेपी आंदोलने के कारण कॉलेज की नौकरी की तिलांजली दे दी। बाद में उन्होंने महाराजा हरेन्द्र किशोर कॉलेज के प्राचार्य का पद सम्भाला। अवकाश प्राप्त करने के बाद अपने पुत्रों के साथ वे पेट्रोल पंप व एपी गैस के व्यवसाय में जुड़ गये हैं। मोतिहारी के चांदमारी चौक स्थित केजी पेट्रोलियम, एनएच 28 स्थित चकिया टॉल प्लाजा के पास बीके पेट्रोलियम सहित एलपी गैस एजेंसी के प्रोपराइटर हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि खुशमिजाज व्यक्तित्व के कारण शादी की 50 वीं सालगिरह मना लेने वाले शख्स को देखने से लगता है कि उनकी उम्र 55 ज्यादा नहीं है।