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मोतिहारी
कुरान पढ़ेंगे तो इस्लाम की नेक बातें समझ में आएगी- काजी जमाल अकबर
By Deshwani | Publish Date: 7/5/2018 8:55:33 PM
कुरान पढ़ेंगे तो इस्लाम की नेक बातें समझ में आएगी- काजी जमाल अकबर

मोतिहारी। रामगढ़वा से शेख लड्डू।

मैं नहीं कहता, कुरान कहता है। जिसकी पहली आयत नाजील हुई। वह रोजा, नमाज, जकात व हज नहीं बल्कि कुरान का पहला शब्द इकरा आया। यानी पढ़ो। पढ़कर इस्लाम समझोगे। तो कामयाब हो जाओगे। बिन पढ़े समझोगे तो गुमराह हो जाओगे। उक्त बातें जामे रहमानिया खानकाह मुंगेर के उस्ताद काजी जमाल अकबर ने कही। काजी अकबर रविवार को स्थानीय फ्लाहुल मुस्लेमीन मदरसा में आयोजित  तालीमी कॉफ्रेंस व जलसा ए दस्तारबंदी के दौरान अपने तकरीर कर रहे थे।

तालीम हमारी पहली फर्ज-

काजी जमाल ने कहा कि महल में हो तो इतरा के मत चलना। तिजोरी के मालिक हो तो घमंड मत करना। हवेली बड़ा नहीं दौलत बड़ी नहीं है। जिसे हजरत मोहम्मद (सा) ने पसंद कर लिया, वह बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा कि तालीम हमारी मजहब में फर्ज करार दिया गया है। अपने बच्चों को भूखा रहकर भी तालीम दो। तभी वह दुनिया व अखिरत में कामयाब होगा।
 
जलसे की शुरुआत कुराने पाक की तिलावत से हुई-

जलसे की शुरुआत कुराने पाक की तिलावत से कारी अब्दुस समद  ने की, जबकि जलसे की सदारत मदरसा के पूर्व हेड मास्टर  अली अहमद ने की जबकि संचालन मुफ़्ती जियाउल हक काशमी  ने की। जलसे को सम्बोधित करते हुए  मौलाना वशी अख्तर , कहा कि हुजूर पाक सल्ल लाहो वलेहे वस्लम के द्वारा बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प ले। कुरान हाफिज बनने पर उन्होंने बताया कि पूरी कुरान याद करने पर कयामत के दिन उनके उनके मां-बाप व सगे संबंधियों के गुनाहों को अल्लाह माफ करते है। दोजख की आग से बचाते है। मुफ़्ती ने दीने मती पर अमल करने, कुरान व सुन्नत के दाम को मजबूती से थामने के साथ-साथ नए नए फिरको से बचने की सलाह दी।
 
 जलसे के दौरानमदरसे के बच्चों ने हबीबुल्लाह के साथ 'जब चाँद से बढ़कर है तलवा रसूल का, तो सोचो मोमिनो कैसा होगा चेहरा रसूल का' पढ़कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान 2 हाफीजों असरार अहमद व नसीम अहमद के सर पर पगड़ी बांधी गयी और उनके हाथों में कुरान दी गई। जलसे को कामयाब बनाने में मौलाना रेयाज अहमद,तबारक हुसैन,अली अहमद,पूर्व मुखिया तारिक जमाल,कारी अब्दुस समद,मौलाना अब्दुलाह,मुर्तुजा हुसैन  डॉ रेयाजुल हक ,नसीम आलम ,असहाब आलम,अनवारुल हक आदि प्रमुख थे।
 
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