संस्कृति से ही होती है राष्ट्र की पहचान- पं. सुशील
मोतिहारी/अरेराज/ सुधांशु कुमार मनीष।
राष्ट्र की पहचान उसकी संस्कृति से होती है। आज शिक्षा के क्षेत्र में पाश्चात्य संस्कृति के पड़ने वाले कुप्रभाव को रोकने की जरूरत है, तभी हमारे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
उक्त बातें गुरुवर को मोतिहारी के आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान वेद विद्यालय के प्राचार्य पं. सुशील कुमार पाण्डेय ने कही। वे आज पूर्वी चंपारण के अरेराज स्थित महादेव शिवशक्ति सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित संस्कार गुरुकुलम आवासीय विद्यालय की प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित एक दिवसीय भारतीय संस्कृति आधारित संस्कारशाला के आयोजन में मुख्यातिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ साथ बच्चों के लिए नैतिक व पारंपरिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। वहीं सोमेश्वर नाथ मंदिर के महंथ रविशंकर गिरि ने बच्चों व अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही मनुष्य का तीसरा नेत्र है।
अन्य वक्ताओं में नगर परिसद अध्यक्ष मंटू दुबे, सुनिलमणि तिवारी, प्रभाकर मिश्र, अलोकमणि त्रिपाठी, प्राचार्या मंजू त्रिपाठी, संस्थापक जयनाथ त्रिपाठी, किशोर पाण्डेय, नीरज कुमार सिंह, चंद्रकांत त्रिपाठी, अमितमणि त्रिपाठी, विपिन मिश्र, पिंटू दूबे आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा झिझिया, समचकेवा आदि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। कार्यक्रम का संचालन अजीतमणि त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती मंजू त्रिपाठी ने किया।
मौके पर जयकांत तिवारी, चंद्रकांत तिवारी, निशा कुमारी, स्वीटी कुमारी, अनुप त्रिपाठी, अर्चना त्रिपाठी, आराधना त्रिपाठी, निशा कुमारी, अंजलि कुमारी, पूनम तिवारी, नरगिस बानो, मिक्की समेत सैकड़ो मौजूद थे।