मोतिहारी। रामगढ़वा। लड्डू शेख।
रामगढ़वा अमोदेई गाँव में अवस्थित मदरसा इस्लामिया के परिसर में शुक्रवार की देर शाम से लेकर शनिवार की सुबह तक दस्तरबन्दी सह जलसा कार्यक्रम का आयोजन मदरसा के मौलाना मोनाजिर हसन रहमानी की सदारत में सम्पन्न हुई।
कर्यक्रम की शुरुआत अमोदेई के हाफिज जियाउल हक के नात-ए-करीम 'हाफिज-ए-कुरान ,की बरकत मत पूछिये, इंसान जिसके फ़ैज़ से जीशान हो गया, महफूज जिसके सीने में कुरान हो गया, मानिंद ए आफताब फैलेंगे हस्र में, जिनका पेशर हाल हाफिज ए कुरान हो गया' से हुई।
बच्चों को कुरआन हिफ़्ज कराने पर किया गया सम्मानित-
कार्यक्रम में मदरसा के 25 बच्चों को मुकम्मल कुरान याद करने व हिफ़्ज़ करने पर मुंगेर के खानकाह मुजिबिया रहमानिया के मुफ़्ती रेयाज अहमद काशमी व काजी जमाल अहमद के द्वारा दस्तरबन्दी कर पगड़ी पहनायी गई। वहीं इस रस्म के बाद आयोजित जलसा में तकरीर करते हुए मौलाना आमिर हमजा साहब ने इस्लाम में शिक्षा कमी की बात करते हुई बताया कि सबसे पहले मुसलमान अपने बच्चों को दिनी शिक्षा दे फिर उसके बाद कोई शिक्षा दे। आज के दौर में दिनी शिक्षा नहीं होने से मुस्लिम समाज मे भटकाव आ गया है। वहीं कुरान की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए मौलाना जिकरुल्लाह ने कहा कि हुजूर पाक सल्ल लाहो वलेहे वस्लम के द्वारा बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प ले।
कुरान हाफिज बनने पर उन्होंने बताया कि पूरी कुरान याद करने पर कयामत के दिन उनके, उनके मा-बाप सगे संबंधियों के गुनाहों को अल्लाह माफ करते है और दोजख की आग से बचाते है। मुफ़्ती ने दीने मती पर अमल करने, कुरान व सुन्नत के दाम को मजबूती से थामने के साथ साथ नए नए फिरको से बचने की सलाह दी। जलसा व दस्तरबन्दी कार्यक्रम के दौरान रामगढ़वा, अमोदेई, रघुनाथपुर, बेला सहित दर्जनों गाँव के हजारों लोग शरीक हुए। इस मौके पर शायरे इस्लाम मुफ़्ती मुज्जमिल हयात,कारी बशीर अहमद, कारी महफुजुर रहमान, हाफिज इश्तेयाक अहमद, रामगढ़वा मदरसा के मुफ़्ती जियाउल हक, हाजी नसीबुल हक, मूसा बाबू, मोतिउर रजा, हाफिज अशरफ, मस्लेउद्दीन मिया, डॉ अब्दुस सलाम, नुरुल्लाह, कारी समद समेत हजारो लोग मौजूद थे।