बिहार
श्रद्धांजलि: विजय भाई आपके बिना सूना-सूना लग रहा मोतिहारी का पत्रकारिता जगत
By Deshwani | Publish Date: 24/2/2018 9:37:29 PM मोतिहारी। विनय कुमार परिहार।
देखते ही देखते एक साल गुजर गए विजय भाई को हमसे जुदा हुए। आज ही के दिन काल ने उन्हें अचानक हमसे छीन लिया था। वह मनहूस काली रात जिसने पलभर में एक हंसते-खेलते परिवार की खुशियां तबाह कर दी। एक पत्नी से उसका पति छीन लिया, एक बेटे से उसके पिता और हमसे हमारे विजय भाई। उनके निधन की खबर मिलते ही दिल धक्क से रह गया था। सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि अचानक ऐसा भी हो सकता है, मगर नियति तो अपना खेल खेल चुकी थी। यह एक क्रूर सच्चाई थी, िजसे न चाहते हुए भी हम सबको स्वीकार करना पड़ा। उनके निधन ने देशवाणी परिवार को ऐसी अपूरणीय क्षति पहुंचाई, िजसकी पूर्ति शायद कभी संभव भी नहीं है। आज उनकी पहली पुण्यतिथि है, आज देशवाणी परिवार को उनकी याद कुछ ज्यादा ही सता रही है। खैर, काल पर किसका वश रहा है, जो हमारा चलता। प्रथम पुण्यतिथि पर हरदिलअजीज विजय भाई को शत-शत नमन।
कौन थे विजय भाई
हिन्दुस्तान हिन्दी दैनिक के सीनियर सब एडिटर 48 वर्षीय पत्रकार मोखलिशपुर निवासी स्व शत्रुध्न सिंह व उषा देवी के पुत्र थें।
अपने प्रखर लेखन व शब्दों की बाजीगरी के लिए अखबार जगत में मशहूर रहे हैं। उन्होंने 80 के दशक में नवभारत टाइम्स व पीटीआई से पत्रकारिता की शुरुआत की। फिर प्रभात खबर,जागरण व हिन्दुस्तान अखबारों में जाने माने ब्रांड हो गये थें। इस दरम्यान उन्होंने बेतिया में दैनिक जागरण व समस्तीपुर में हिन्दुस्तान के स्थानीय प्रभारी का पद भी संभाला। अनवरत लेखन कार्य से उनकी कलम धारदार होती गयी। जो सत्ता व प्रशासन की कुव्यवस्था पर सटीक चोट करने में प्रवीण व माहिर मानी जाती थी। उनके अनुपम लेखन कौशल का सभी लोहा मानते रहें।
पत्रकारिता से अलग उनकी गहरी सामाजिक पैठ थी। जो उनसे एक बार भी मिला। उनका मुरीद हो गया। यही कारण था कि उनके निधन की खबर पर जिला मुख्यालयय से दूर उनके पैतृक गांव मोखलिशपुर में उनके शुभेच्छुओं की लाइन सी लग गयी। पत्रकारिता व राजनीतिक जगत के दिग्गज के अलावा सभी अाम व खास लोग इनको देखने पहुंचे थें। इनके अंतिम दर्शन को पहुंचे इनके चाहनेवालों में कोई शख्स ऐसा नहीं रहा जो फूट-फूट कर नहीं रोया। अगर कहा जाए कि नामी पत्रकार स्व कुमार कमला सिंह के नाम से मोखलिशपुर को पुरानी पीढ़ी जानती थी। तो पत्रकार विजय सिंह की वजह से इस दौर के लोगों की जुबान पर मोखिलशपुर का नाम आया है। तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।