ब्रेकिंग न्यूज़
पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाटबिहार:10 जोड़ी ट्रेनें 25 फरवरी तक रद्द,नरकटियागंज-मुजफ्फरपुर रेलखंड की ट्रेनें रहेंगी प्रभावितप्रधानमंत्री ने मिजोरम के निवासियों को राज्‍य के स्‍थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी
आमने-सामने
इन 50 फिल्मों ने बॉलीवुड को बदल डाला: शुभ्रा गुप्ता
By Deshwani | Publish Date: 13/1/2017 3:48:09 PM
इन 50 फिल्मों ने बॉलीवुड को बदल डाला: शुभ्रा गुप्ता

साकेत सुमन 

नई दिल्ली, (आईपीएन/आईएएनएस)। शुभ्रा गुप्ता दो दशक से ज्यादा समय से भारत की जानी-मानी और प्रभावशाली फिल्म समीक्षकों में से एक हैं। हम किस तरह फिल्म देखते हैं और इसे अपने जीवन में उतारते हैं, इसे संबद्ध करते हुए उन्होंने ’50 फिल्म्स दैट चेंज्ड बॉलीवुड, 1995-2015’ लिखी है, जिसमें दो दशकों में जिन फिल्मों की वजह से बॉलीवुड में बदलाव की बयार आई उनका जिक्र किया गया है। 

शुभ्रा का मानना है कि लंबे समय से फिल्म समीक्षक रहने वाली शख्स के लिए पीछे मुड़कर फिल्म उद्योग से जुड़े हर क्षेत्र जैसे फिल्म निर्माण, प्रदर्शन, प्रोडक्शन, वितरण और प्रदर्शनी में आए बदलाव की समीक्षा करना काफी मायने रखता है।

शुभ्रा केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य भी हैं। उन्होंने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, “मेरी इच्छा रही है कि जिन फिल्मों को हमने बहुत पसंद किया व जिस प्रकार के हम दर्शक हैं और कैसे दोनों ने एक-दूसरे को प्रभावित किया है, उन बिंदुओं को जोड़ा जाए। किताब लेखन ने मुझे दोनों मामलों में मदद की।“

उन्होंने 1990 की शुरुआत में सिनेमा पर लिखना शुरू किया। उन्हें इस काम में मजा आने लगा और इस प्रकार सिनेमा के साथ जीवन भर चलने वाले साक्षात्कार का सफर शुरू हुआ।

शुभ्रा कहती हैं कि उन्होंने 20 वर्षो में बनी मुख्यधारा की फिल्मों में उन्हीं 50 फिल्मों को शमिल किया है, जो बड़े पैमाने पर बदलाव लेकर आए।

उनका मानना है कि इन 50 फिल्मों में यह समानता है कि ये सभी शानदार फिल्में हैं। इन फिल्मों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इनमें से किसी फिल्म से किसी अभिनेता या किसी फिल्म से निर्देशक ने कदम रखा है, जो बहुत सफल हुए या किसी फिल्म ने फिल्म उद्योग को एक विशेष दिशा में मोड़ा।

इस किताब में उन्होंने आधुनिक क्लासिक फिल्मों ’दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ’रंगीला’, ’सत्या’ और ’बजरंगी भाईजान’ का जिक्र किया है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नए सिरे से परिभाषित किया।

शुभ्रा गुप्ता किताब के परिचय में लिखती हैं, “1991 में उदारीकरण आया और भारत एक अलग देश बन गया। 1995 में ’दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ आया और हिंदी सिनेमा बॉलीवुड बन गया।“

फिल्म ’शोले’ जिस तरह 1970 में बदलाव का वाहक बना वैसे ही 1990 के दशक में ’दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ बना।

यह पूछे जाने पर कि क्या हमारी फिल्म उद्योग के कुछ ऐसे पहलू हैं, जिससे उन्हें निराशा हुई है तो उन्होंने कहा, “बिल्कुल ऐसा हुआ है, लेकिन अगर पांच फिल्में नहीं चलती हैं तो साथ ही एक ऐसी फिल्म जरूर आती है जो सफल होती है।“

शुभ्रा उम्मीद करती हैं कि एक अच्छी फिल्म की तरह वह लोगों को जानकारी दे सकती हैं और उनका मनोरंजन कर सकती हैं।

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS