दुर्गा चक्रवर्ती
नई दिल्ली, (आईपीएन/आईएएनएस)। विख्यात गीतकार जावेद अख्तर के साथ शादी के बंधन में बंधे तीन दशक से अधिक समय पूरा कर चुकीं और बॉलीवुड में 44 वर्ष की यात्रा में कई सशक्त भूमिकाएं निभा चुकीं अनुभवी अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी का मानना है कि हिंदी सिनेमा में महिला कलाकारों के लिए शादी अयोग्यता नहीं है।
शबाना ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस से कहा, “मुझे लगता है कि यह सोचना बहुत पुराना खयाल है कि महिला कलाकारों के करियर के लिए शादी हानिकारक है। यह कहना कि शादी उनके लिए अयोग्यता है, मैं इससे सहमत नहीं हूं।“ 66 वर्षीया अभिनेत्री का कहना है कि अभिनेत्रियां अब एक उपयुक्त उम्र में शादी कर लेती हैं। वर्ष 1988 में पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री ने कहा, “क्या हुआ, अगर लड़कियां शादी के लिए तैयार हैं और शादी कर लेती हैं! अगर उस वक्त वे महत्वपूर्ण भूमिकाएं कर रही होती हैं, फिर भी वे हीरोइन मोड में ही रहती हैं।“
अच्छे काम के जरिए महिला सशक्तीकरण का समर्थन करने वाली शबाना ने कहा कि आज भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका बहुत बदल गई है। ’अंकुर’, ’अर्थ’, ’फायर’, ’मकड़ी’ और ’नीरजा’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के नमूने पेश कर चुकीं अभिनेत्री ने कहा, “हम यह नहीं कह सकते कि हम सशक्त महिलाओं, बदलाव और न्याय के बारे में फिल्में चाहते हैं, फिल्में तो ऐसी होनी चाहिए, जिन्हें दर्शक पसंद करें।“ शबाना का मानना है कि फिल्म उद्योग उम्र-केंद्रित है, लेकिन यह भी अब बदल रहा है।
उन्होंने कहा, “अगर आप पिछले 10 सालों में मेरे अपने कैरियर ग्राफ को देखें, तो ये शायद मेरे जीवन की सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं हैं। अगर मैं किसी को बताना चाहूं तो मेरी 5 फिल्में रिलीज की कतार में हैं।“ अभिनेत्री का कहना है कि वह 66 की उम्र में भी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभा रही हैं, और अपनी सक्रियता से वह काफी खुश हैं।