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मधुबनी
राष्ट्रपति कोविंद ने गोदावरी दत्ता को पद्म्रश्री पुरस्कार से नवाजा, खुशी से झूम उठे मधुबनी के लोग
By Deshwani | Publish Date: 16/3/2019 3:00:05 PM
राष्ट्रपति कोविंद ने गोदावरी दत्ता को पद्म्रश्री पुरस्कार से नवाजा, खुशी से झूम उठे मधुबनी के लोग

मधुबनी। मिथिला पेंटिंग के लिए एक बार फिर मधुबनी जिले का नाम देश भर में रोशन हो गया है। मधुबनी पेंटिंग के लिए रांटी गांव निवासी गोदावरी दत्ता को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया। राष्ट्रपति भवन में आज  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह पुरस्कार दिया। 

 
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई दिग्गज मंत्री और अधिकारी शामिल थे। गोदावरी दत्ता को पद्मश्री दिये जाने से जिले भर के कलाप्रेमियों में खुशी है। पुरस्कार मिलते ही गोदावरी दत्ता के गांव रांटी और उनके परिजनों में हर्षोल्लास का माहौल है। लोग सुबह से ही टीवी सेट के पास जमा हो गये थे, जैसे ही उन्हें पुरस्कृत किया गया, खड़े होकर लोगों ने ताली बजाते हुए अपनी खुशी का इजहार की और उन्हें बधाई दी। 
 
ज्ञात हो कि इससे पहले भी  गोदावरी दत्ता को विभिन्न संस्थान द्वारा करीब 20 से अधिक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इनमें गोदावरी दत्ता को सबसे पहले 1973 में बिहार राज्य दक्ष शिल्पी पुरस्कार दिया गया। 1975 में 21 वां अखिल भारतीय हस्तशिल्प, 1976, 1978 में हस्तशिल्प पुरस्कार, 1983 में ब्रह्मानंद कला पुरस्कार, 1985 में जर्मनी उरकुंडे प्रदर्शनी, 1981 में बिहार स्टेट हैंडीक्राफ्ट कारपोरेशन द्वारा पुरस्कार, 1990 में जापान सरकार द्वारा सम्मान, 1992 में जापान सर्टिफिकेट, 1991 में जापान सरकार द्वारा प्रशस्ति पत्र 2006 में शिल्प गुरु पुरस्कार,1980 में राष्ट्रीय पुरस्कार, 1975 में चेतना समिति द्वारा पुरस्कार, 2014 में बिहार कला पुरस्कार अंतर्गत लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार शामिल है। 
 
गोदावरी दत्ता 1989 से 1995 तक भारत सरकार के निर्देश पर सात बार मिथिला पेंटिंग कला को लोगों के सामने प्रदर्शनी के लिए जापान भेजा गया। जापान में मकाशी फुतायामा अध्यक्ष होहोइमी पार्क टायमा द्वारा प्रशस्ती पत्र दिया गया है। क्राफ्ट बाजार विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा 1998 में विशिष्ट प्रमाण पत्र दिया गया है। चित्रकला को अपने जीवन का अंग बनाकर गोदावरी दत्ता अपने देश के अलावा जापान, जर्मनी सहित अन्य कई देशों में जाकर मिथिला पेंटिंग का प्रदर्शनी लगाकर इस कला को विदेश में भी प्रतिष्ठापित किया है।
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