खूंटी, (हि.स.)। झारखंड राज्य गठन के 17 वर्ष और जिला गठन के दस साल गुजरने को हैं, लेकिन आज तक खूंटी जिले में कुछ नहीं बदला। न उद्योग लगे और न ही जिले का सर्वांगीण विकास हुआ। कुदरत ने यहां मुक्त हस्त से जल, जंगल और जमीन के साथ ही अनुकूल वातावरण प्रदान किया है पर जिले में भूमि अधिग्रहण की विकट समस्या और उग्रवाद-नक्सलवाद के चलते कोई उद्योगपति खूंटी की ओर रुख नहीं करता। नतीजतन रोजगार की कमी के कारण यहां उग्रवाद और नक्सलवाद की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
बेरोजगारी के कारण नक्सलवाद की समस्या पुलिस के लिए भी चुनौती बनती जा रही है। युवाओं को रोजगार मिले, तो काफी हद तक इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। इसके बावजूद शनिवार को हुई 72 परियोजनाओं के शिलान्यास में खूंटी का कहीं नाम नहीं है। सीमेंट, फूड पार्क, फूड प्रोसेसिंग, राइस मिल, डेयरी सहित कई परियोजनाएं हैं। इसके पूर्व फरवरी 2017 में हुए मोमेंटम झारखंड में 310 लाख करोड़ के 2110 एमओयू हुए थे, पर यहा भी खूंटी की चर्चा नहीं थी। वैसे इस सूची में खूंटी के अलावा गुमला और सिमडेगा जिले का भी नाम नहीं है।
बता दें कि ये तीनों जिले नक्सलवाद और उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित हैं। कोई उद्योगपति यहां कल-कारखाना खोलने का जोखिम उठाना नहीं चाहता। नाम न छापने की शर्त पर एक उद्योगपति ने कहा कि पूंजी निवेश करने के बाद भी इन जिलों में न जान की सुरक्षा है और न व्यवसाय की। इसके अलावा यहां की हर छोटी-बड़ी परियोजना का विरोध भी आम है। भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण ही एक मेगा पावर प्रोजेक्ट कोयल कारो जल विद्युत परियोजना वर्षों तक अधर में लटकने के बाद बंद हो गयी। मित्तल, जिंदल, भूषण स्टील जैसी नामी-गिरामी कंपनियों ने उद्योग लगाने में रुचि दिखायी थी। मित्तल ग्रुप ने तो भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी पर प्रबल जन विरोध को देखते हुए उसने अपने कदम वापस खींच लिये।
चंद पैसों के लिए उग्रवाद की ओर आकर्षित हो रहा है युवा वर्ग
उद्योगों की कमी के कारण जिले में नक्सलवाद की समस्या गहराती जा रही है। चंद पैसों के लालच में बेरोजगार युवक उग्रवाद की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिले के एक अधिकारी ने कहा कि आज के युवाओं को महंगी बाइक, अच्छा मोबाइल और उनके नए-नए शौक कहां से पूरे होंगे? कमाई तो है नहीं और इसी का उग्रवादी या नक्सली लाभ उठाकर उन्हें अपने साथ दौलत देने का लालच देकर मिला लेते हैं। उन्होंने कहा कि जिले में उद्योग लग जाएं और स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिलने लगे तो यह समस्या स्वतः ही समाप्त हो जायेगी।