झारखंड
मॉब लिंचिंग: हाइकोर्ट ने सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट, अगली सुनवाई 17 को
By Deshwani | Publish Date: 9/7/2019 10:45:18 AMरांची। झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राज्य में हुए मॉब लिंचिंग के मामलों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मामले को गंभीरता से लिया। माैखिक रूप से कहा कि यह गंभीर मामला है।
खंडपीठ ने सरायकेला-खरसावां जिले में हुई मॉब लिंचिंग की घटना में मो तबरेज अंसारी की हत्या से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसके अलावा मॉब लिंचिंग की अन्य घटनाओं की भी अद्यतन स्थिति की जानकारी देने को कहा। खंडपीठ ने पांच जुलाई को डोरंडा (रांची) के उर्स मैदान में सभा के बाद राजेंद्र चाैक पर हुई तोड़फोड़ की घटना व महात्मा गांधी मार्ग स्थित एकरा मसजिद के पास हुई घटना को लेकर सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 17 जुलाई की तिथि निर्धारित की।
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि भीड़ द्वारा हत्या करने की घटनाएं बढ़ गयी हैं। इस प्रकार की 18 घटनाओं में कई लोगों की हत्या कर दी गयी। पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया।
वहीं पूरक शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को यह भी बताया कि पांच जुलाई को मुसलिम संगठनों ने डोरंडा के उर्स मैदान में सभा बुलायी थी। सभा के बाद लाैटती हुई भीड़ में शामिल लोगों ने राजेंद्र चाैक पर वाहनों तोड़फोड़ की. मेन रोड में एकरा मसजिद के पास चाकू से चंदन श्रीवास्तव व दीपक को घायल कर दिया गया। अधिवक्ता ने कहा कि यह भी मॉब लिंचिंग ही है. इस तरह की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। सभा बुलानेवालों को नोटिस जारी करने का भी आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी जनसभा पलामू के पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने सरायकेला मॉब लिंचिंग सहित राज्य में हुई 18 मॉब लिंचिंग घटनाओं की स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग जैसी घटना को रोकने के लिए गाइडलाइन भी जारी किया था, लेकिन झारखंड में उसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। देश के सभी राज्यों में एक उच्चस्तरीय नोडल एजेंसी बनाना था, झारखंड में अब तक नोडल एजेंसी भी नहीं बनायी गयी है।