बड़कागांव। बारिश से बड़कागांव-उरीमारी तक निर्माणाधीन रोड पर बने चार डायवर्सन बह गये. इससे तलसवार, आंगों और जरजरा पंचायत के दर्जनों गांव का संपर्क प्रखंड और जिला मुख्यालय से टूट गया है। आवागमन पूरी तरह बाधित है।
इससे स्कूल, कॉलेजों, कोर्ट-कचहरी व बाजारों तक आने-जाने में भी लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। तलसवार पंचायत के पंसस केदार महतो ने बताया कि उरीमारी से बड़कागांव रोड का निर्माण बारबरी कंपनी करा रही है। पुल-पुलिया का निर्माण आदित्य कंस्ट्रक्शन के अभिकर्ता अरविंद कुमार करा रहे हैं। डायवर्सन कमजोर बना था। इस कारण बह गया. उन्होंने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से डायवर्सन मजबूत बनाने की मांग की है।
केरेडारी में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त : केरेडारी में पिछले 72 घंटे से हो रही मूसलधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया है। बारिश के कारण निरी, बुंडू, पताल, मनातू, मसुरिया समेत कई गांवों के लोग प्रभावित हैं। इन गांवों के लोगों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है।
कहां-कहां बहे डायवर्सन : सिमरातरी स्थित शनिचरी नदी में छह नंबर पुल का डायवर्सन, तलसवार के डाड़ीगढ़ा नाला स्थित पांच नंबर पुल का डायवर्सन, कजरु होटल के पास चार नंबर पुल का डायवर्सन और जोभियानाला के तीन नंबर पुल का डायवर्सन बह गया। इससे आवागमन बाधित है।
बड़कागांव. पचंडा गांव निवासी आजो देवी (35) की मौत सर्पदंश से हो गयी। रिश्तेदार मिश्रीलाल मांझी ने बताया कि गांव में झाड़-फूंक कराने में समय बीत जाने से महिला की तबीयत बिगड़ गयी। उसे बड़कागांव ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन पचंडा नदी में बाढ़ आ जाने के कारण उसको इलाज के लिए बड़कागांव नहीं ले जाया जा सका। इस कारण गांव में बिना इलाज के ही उसकी मौत हो गयी।
कामडारा-बेड़ो पथ पर रेड़वा नदी पर एक करोड़ 16 लाख की लागत से बने पुल का एप्रोच पथ बह गया है। पथ निर्माण विभाग की ओर से वर्ष 2014-15 में पुल निर्माण की स्वीकृति दी गयी थी। जनवरी 2018 में कार्य पूर्ण हुआ। बारिश में पुल के पहले स्पेन और एप्रोच पथ के बीच गड्ढा हो गया है। ठेकेदार विजयकांत पांडेय ने कहा कि पुल निर्माण कार्यों में ज्यादातर एप्रोच पथ पहली बारिश में टूट जाता है।
बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र में बिंजा-पतरातू मुख्य पथ पर छापर गांव से पहले बनाया गया डायवर्सन पानी में बह गया। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डायवर्सन के बह जाने के कारण बच्चे रेहड़ा नदी में उतर कर विद्यालय जाने को मजबूर हैं।