रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन भी विरोधी दलों का हंगामा नहीं रुका। हालांकि हंगामें के बीच 2596.86 करोड़ रूपये का प्रथम अनुपूरक बजट पास हो गया। इसी क्रम में सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की पिटाई के मामले में कल शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह का विवादित बयान सामने आया है। उन्होंने विधानसभा में कहा कि स्वामी अग्निवेश फ्रॉड हैं। उनका भगवा धारण करना भारतीयों को ठगने का तरीका है। उनके इस बयान के बाद विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। उधर, अग्निवेश बुधवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा मुलाकात का समय नहीं दिए जाने से दिल्ली लौट गए।
सीपी सिंह ने कहा, ‘जहां तक मुझे पता है, स्वामी अग्निवेश वह व्यक्ति हैं जो विदेश से मिल रहे डोनेशन पर जीते हैं। वह जो भगवा कपड़े पहनते हैं, सिर्फ भारत के मासूम लोगों को ठगने के लिए हैं। वह स्वामी नहीं फ्रॉड हैं। उन्होंने पब्लिसिटी के लिए खुद पर हमला करवाया और इसकी योजना बनाई।’ स्वामी अग्निवेश ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा और एबीवीपी के सदस्यों ने उन पर हमला किया है। इस बीच, पाकुड़ के उपमंडलीय पुलिस अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
विधानसभा परिसर में विरोध मार्च और प्रदर्शन के बाद हेमंत सोरेन ने कहा-लोकतंत्र को भीड़तंत्र बना दिया गया है। भाजपा के कार्यकर्ता तांडव कर रहे हैं। राजनीतिक उन्माद फैलाया जा रहा है। चंद लोग देश पर हावी हो रहे हैं। भाजपा की विचारधारा न मानने वालों की पिटाई कराई जा रही है। उनके साथ ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। हत्या भी करा सकते हैं। अराजकता का माहौल बना हुआ है। स्वामी अग्निवेश के साथ मारपीट की घटना शर्मनाक है। इसकी वजह से झारखंड को देश के सामने शर्मसार होना पड़ा है। इसके लिए वह शर्मिदा हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद सदन नहीं चलने देना चाहते हैं। उनकी सहनशीलता कमजोर है। बहुमत के अहंकार में डूबे हुए हैं। कहते हैं-बहुमत मिला है तो जो चाहेंगे, करेंगे। कहते हैँ कि 2019 में जब विपक्ष को बहुमत मिलेगा, तब वह भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को खत्म कर दे। सदन सीएम की जागीर है क्या। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने के लिए स्पीकर ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई थी। मैंने कहा कि समाधान निकालना है तो राजनीति और व्यक्तिगत हित से ऊपर उठना होगा। सिर्फ कहने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इस शर्त के साथ प्रस्ताव रखा कि सीएम ने बड़ी गलती की है। बैठक में साबित नहीं कर सका तो फिर संशोधन बिल या कानून पर कुछ नहीं कहेंगे। लेकिन साबित हो गया तो सीएम को बिल वापस लेना होगा। पर सीएम इस पर तैयार नहीं हैं। हेमंत ने कहा कि लूट खसोट की उन्हें चिंता नहीं है। उन्हें चिंता राज्य के वजूद की है।