रांची। झारखंड के कोल्हान (पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां) क्षेत्र को अलग देश और खुद को उसका स्वघोषित राजा बताने वाले रामो बिरुवा की चाईबासा जेल में मौत हो गयी है। गुरुवार की सुबह तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल ले जाने के क्रम में रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी। जेल प्रशासन ने यह जानकारी दी।
जेल में प्रतिनियुक्त डॉ बीके सिंह ने बताया कि चार दिन से रामो की छाती में दर्द हो रहा था। जेल में ही उसका तबियत खराब चल रहा था। गुरुवार को सुबह 10 बजे बेहोशी की हालात में उसे सदर अस्पताल ले जाया जा रहा था। रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी। डॉ सिंह ने बताया कि इससे पूर्व 17 जून को भी रामो का सदर अस्पताल में इलाज कराया गया था। उधर, सदर अस्पताल में रामो की जांच करने वाले डॉ एसएस मलिक ने बताया कि अस्पताल लाने से पहले ही रामो की मौत हो चुकी थी।
सेवानिवृत्त प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) रामो बिरुवा उस वक्त चर्चा में आया था, जब दिसंबर, 2017 में उसने खूंटपानी प्रखंड के बड़े गांवों में से एक बिंदीबासा में एक बड़े समारोह में कोल्हान को अलग राष्ट्र घोषित कर अपना अलग झंडा फहराने का एलान कर दिया। इसे 20वां वार्षिक रक्तहीन वापसी दिवस नाम दिया था। हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने उसकी मंशा को विफल कर दिया। प्रशासनिक सख्ती को देखते हुए 80 वर्षीय रामो बिरुवा वहां से भाग गया। पुलिस ने रामो बिरुवा की मदद करने वाले 44 लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज किया। उसके साथी मुन्ना बानसिंह को गिरफ्तार कर लिया।
बताया जाता है कि आजादी के 70 साल बाद पश्चिमी सिंहभूम के कुछ आदिवासियों का समूह इस इलाके को अलग देश मानता है। उन्होंने इसे ‘कोल्हान गवर्नमेंट इस्टेट’ नाम दिया है. बिरुवा को जब इसकी जानकारी मिली, तो उसने खुद को आदिवासियों का प्रतिनिधि बताकर 1995 में ब्रिटिश सरकार से संपर्क किया। रामो और उसके साथियों का दावा है कि 1998 में ब्रिटिश सरकार ने बिरुवा को ‘कोल्हान गवर्नमेंट इस्टेट’ का संरक्षक घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, उसे इलाके के लोगों से टैक्स वसूलने का अधिकार भी मिल गया है।