रांची। कुरमी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में कुरमी महाजुटान महारैली का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में कुरमी नेताओं ने 2019 के चुनाव के पूर्व ही कुरमी जाति को एसटी सूची में शामिल करने की मांग की और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम चुनाव में उठाने पड़ सकते हैं। रैली में भाजपा, झामुमो, जदयू, कांग्रेस के कुरमी नेताओं ने हिस्सा लिया।
रैली को संबोधित करते हुए जमशेदपुर के बीजेपी सांसद विद्युतवरण महतो ने कहा कि किसी को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। झारखंड का गठन कुरमी नेताओं के शहादत पर हुआ है। झारखंड आंदोलन के लिए शहीद शक्तिनाथ महतो, विनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो, सुनील महतो आदि ने अपनी शहादत दी। उन्होंने आदिवासी नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि अगर एक कठ्ठा जमीन भी आदिवासियों की कुरमी ने लूटी है तो प्रमाण दें, वे सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि जब तक कुरमी को आदिवासी सूची में शामिल नहीं किया जाता है, वे चैन से नहीं बैठेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रांची सांसद रामटहल चौधरी ने कहा कि कुरमी का कोई दल नहीं है। केवल एक दल कुरमी समाज है झारखंड अलग राज्य के लिए कुरमियों ने कुर्बानियां दी हैं। यह मांग कोई नई नहीं है। मांग सरकार को पूरी करनी होगी। पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि कुरमी के आदिवासी बनने से उनका हक नहीं छीना जाएगा। कुछ लोग आदिवासियों को भड़का कर अपनी राजनीति साध रहे हैं। इतिहास गवाह है कि राज्य बनने के बाद आदिवासियों की जमीन लुटने का काम बाहरियों ने किया। 1952 तक कुरमी आदिवासी सूची में थे, इसलिए मांगने की कोई जरूरत ही नहीं है।
कुरमी महारैली में 8 सूत्री प्रस्ताव पारित किया गया। इसके माध्यम से पुन: एसटी सूची में शामिल करने, अंतिम सर्वे के आधार पर स्थानीय नीति बनाने, कुरमाली भाषा को आठवीं सूची में शामिल करने, महतो-परगनैत को कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हुए उनके धार्मिक जमीन की रक्षा करने, कुरमी समाज का परंपरागत बाईसी-कुटुंब को अधिक कारगार बनाने, समाज में सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक विषयों को मजबूत करने, शादी-विवाह मे फिजूलखर्ची पर रोक लगाते हुए दहेज लेने-देने की प्रथा बंद करने, समाज में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की मांग की गई।