झारखंड
पत्थलगड़ी के स्वरूप को न बदलें : राज्यपाल
By Deshwani | Publish Date: 4/4/2018 4:21:06 PMरांची। खूंटी में पत्थलगड़ी के दुरुपयोग को लेकर ऊपजे विवादों के समाधान के लिए झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू स्वयं आगे आई। उन्होंने कल राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित 'विचार मंच' कार्यक्रम में अनुसूचित क्षेत्रों के महत्वपूर्ण अंग माने जानेवाले पड़हा राजा, मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान आदि से सीधे रूबरू होकर उनकी राय ली। उन्होंने सभी ग्राम प्रधानों को बारी-बारी से सुना। ग्राम प्रधानों की बात सुनने के बाद उन्होंने सभी ग्राम प्रधानों को कहा कि बाहरी तत्वों से दूर रहें। साथ ही उन्होंने पत्थलगड़ी के वर्तमान स्वरूप पर भी रोक लगाने की अपील की।
राज्यपाल ने खूंटी में अपेक्षा के अनुरूप विकास नहीं होने की बात स्वीकार करते हुए इसपर तेजी से काम करने का आश्वासन दिया। साथ ही ग्राम प्रधानों से सरकार को विकास कार्यो में सहयोग करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप लोग सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करेंगे तो विकास से कोसों दूर होते जाएंगे। राज्यपाल ने अनुसूचित क्षेत्रों में शासन व्यवस्था अधिक सुचारू रूप से संचालित करने के उद्देश्य से इस विचार गोष्ठी का आयोजन कराया था।
ग्राम प्रधानों ने कहा कि उनका अधिकार उन्हें हर हाल में मिले। ग्राम प्रधानों ने पेसा कानून को भी अविलंब लागू करने की मांग की। कई ग्राम प्रधानों ने तो यहां तक कह दिया कि पांचवीं अनुसूची के प्रावधान और पेसा कानून लागू नहीं होने के कारण ही खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या है।