रांची, (हि.स.)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल से ही बिहार और झारखंड की राजनीति को धार देने में लगे हुए हैं। राजद सुप्रीमो लालू यादव गत 23 दिसम्बर 2017 से रांची के होटवार जेल में बंद हैं । इस एक माह की अवधि में लालू से मिलने के लिए बिहार के नेताओं का यहां रोज मजमा लगा रहता है । राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय लालू यादव यही से राजनीतिक समीकरण फिट करने में लगे हैं, जिसकी तस्वीर मंगलवार को सीबीआई कोर्ट में देखने को मिली, जहां रालोसपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और सपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव राजद नेताओं के साथ दिखे ।
इस बाबत लालू के करीबी भोला यादव ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगा वैसे-वैसे राजग से विकेट गिरने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी ।
बीते दिनों रांची में लालू यादव से मिलने के बाद राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि लालू प्रसाद के संपर्क में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और ‘हम’ के कई नेता हैं, जो लालू के साथ आने को तैयार हैं । राजद भी उन्हें साथ लेकर बिहार की राजनीति में भूचाल लाने की तैयारी में जुटा है । अब विधायक भोला यादव का इशारा भी कुछ इसी तरफ दिखा ।
लालू यादव केवल यहां बैठकर बिहार की राजनीतिक को ही नहीं साध रहे ,बल्कि झारखंड में भी तमाम विपक्षी दलों को एक झंडे के नीचे लाने में वे काफी प्रयास कर रहे हैं । झारखंड में मुख्य विपक्षी दल झामुमो-झाविमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा–माले सहित अन्य छोटे दल ने 30 जनवरी को सम्पन्न विधानसभा के बजट सत्र में इसकी झलक दे दी है । अभी तक झामुमो से दूरी बनाए रहने वाले झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने बजट सत्र के दिन पहले हेमंत सोरेन के आवास पर हुए विपक्षी दलों की साझा प्रेसवार्ता में हेमंत के साथ मंच साझा किया, इससे विपक्षी एकता को और बल मिला है । राज्य में हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी आदिवासियों के सबसे बड़े नेताओं में सुमार है | इन दोनों के साथ आने का श्रेय भी राजनीतिक विश्लेषक लालू यादव को ही दे रहे हैं । लालू यादव के इस नए पैंतरे से राजद में जहां उत्साह का माहौल है तो वहीं राजग के चेहरे पर शिकन साफ झलक रही है ।