झारखंड
सीएस-डी हटाने की मांग को लेकर विस में हंगामा
By Deshwani | Publish Date: 18/1/2018 3:44:48 PMरांची (हि .स.)। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन गुरुवार को भी विपक्षी सदस्यों ने सदन में जमकमा किया, जिसके कारण प्रश्नोत्तरकाल की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही । विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने हंगामा कर रहे सदस्यों को समझाने का प्रयास किया और प्रश्नोत्तरकाल की कार्यवाही शुरु करने की कोशिश की, लेकिन करीब 45 मिनट तक शोर-शराबे और हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को भोजनावकाश दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
पूर्वाह्न 11बजे सभा की कार्यवाही शुरू होने पर झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने भ्रष्टाचार और पद का दुरूपयोग करने की आरोपी मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और फर्जी मुठभेड़ कांड के आरोपी पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय को पद से मुक्त करते हुए उनके कार्यकाल की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब कार्यपालिका के शीर्षस्थ पदाधिकारियों पर ही गंभीर आरोप है और वे पद पर बने रहेंगे, तो इससे भ्रष्टाचार और पद का दुरूपयोग करने वाले अन्य कनीय अधिकारियों का मनोबल भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जब गंगोत्री ही गंदी होगी, तो गंगा को निर्मल एवं स्वच्छ रखने की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन में इस गंभीर संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सदन में चर्चा होने के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव एके सिंह को पद से हटना पड़ा था, विधायिका के इस सर्वाच्च मंदिर में चर्चा के बाद भी कार्रवाई होती है, तो इससे गलत संदेश जायेगा। उन्होंने कहा कि आज पूरे राज्य की हालत जालियावाला बाग जैसी बन गयी है,ऐसे में सदन में बैठकर सिर्फ तालियां नहीं बजायी जा सकती। उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल एक मंत्री भी कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़ा करते हैं, लेकिन सदन में विपक्षी सदस्यों को नियम-परिनियम बताते है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से भी आग्रह किया कि वे भीष्म पितामह बनकर सारी चीजों को देखते नहीं रहे, आज जिस तरह से आदिवासियों-मूलवासियों के हितों पर प्रहार हो रहा है, तो विपक्ष इतना गद्दार नहीं है, ऐसे मामलों में चुप्पी साधे रखे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने पिछले सत्र में सदन अभद्र भाषा का प्रयोग कर सदन की गरिमा को तार-तार करने का प्रयास किया, उस संबंध में झामुमो के सचेतक और विधायक की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज गाली-गलौज करने वाले सदस्य की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने का भी आग्रह किया गया था, लेकिन उस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने कहा कि कार्यस्थगन में जो विषय आया है , वह मामले संज्ञान में आने के बाद सरकार विहित प्रक्रिया का पालन कर कार्रवाई कर रही है । उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सदन में मौजूद नहीं है, उसके खिलाफ टिप्पणी नहीं करने की परंपरा रही है, इसलिए इस तरह के आरोपों पर सदन में चर्चा नहीं होनी चाहिए। सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर, भाजपा के मनीष जायसवाल और अनंत ओझा समेत अन्य सदस्यों ने विपक्षी सदस्यों द्वारा सदन को बाधित किये जाने पर नाराजगी जतायी। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे को लेकर झामुमो के जगन्नाथ महतो, अमित महतो, झाविमो के प्रदीप यादव और कांग्रेस के इरफान अंसारी की ओर से दिये गये कार्यस्थगन प्रस्ताव को आमान्य कर दिया गया और प्रश्नकाल शुरू करने की कोशिश की। लेकिन विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। विपक्षी सदस्यों ने चुनाव आयोग द्वारा एडीजी अनुराग गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई के दिये गये आदेश पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जतायी। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में भी आ गये और करीब 45मिनट तक सदन की कार्यवाही बाधित रहने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को भोजनावकाश दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।