झारखंड
सीएम की पहल रंग लाई, थम गया पुल से कूद कर खुदकुशी करने का सिलसिला
By Deshwani | Publish Date: 6/12/2017 11:17:37 AMजमशेदपुर, (हि.स.)। क्या कभी आपने सुना है कि एक पुल मौत का जरिया भी हो सकता है। क्या आपने कभी ये भी सुना है कि जान देने के लिए किसी खास जगह को लोग चुन लेते थे। नहीं सुना है तो आइए हम आपको बताते हैं उस पुल के बारे में। जमशेदपुर में स्वर्णरेखा नदी पर बने जयप्रकाश सेतु, जिसे मानगो पुल के नाम जानते हैं वह पुल कभी खुदकुशी का केंद्र हुआ करता था। पति से किया झगड़ा और जान देने के लिए महिला भागी मानगो पुल की ओर, पिता ने डांटा तो मानगो पुल की तरफ चल दिये, परीक्षा का पेपर गड़बड़ाया तो दौड़ लगाई मानगो पुल की ओर और जब-जब जान देने का दिल किया तो मानगो पुल की तरफ चल दिये।
आंकड़े बताते हैं कि 2015 तक मानगो पूल से कूदकर 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है। हालांकि उससे दो से तीन गुणा ज्यादा लोग पुल से कूदे लेकिन बाकियों की जान बच गई।
स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों की मांग
लगातार हो रही घटनाओं से परेशान लोगों ने सवाल उठाया कि यदि इस पुल पर जाली लग जाए तो कोई कूद नहीं सकेगा। यानी न रहेगाबांस न बजेगी बांसुरी। उसके बाद स्थानीय लोगों ने कई सामाजिक और राजनीतिक सगंठनों के बैनर तले अांदोलन किया। नतीजतन इस मामले में मुख्यमंत्री ने खुद हस्तक्षेप करते हुए जिला प्रशासन को इस दिशा में काम करने का आदेश दिया। उसके बाद जमशेदपुर के तत्कालीन डीसी अमिताभ कौशल ने स्वर्णरेखा नदी पर बने छोटे और बड़े पुल पर जाली लगाने का फैसला कर लिया। इसके लिए जिला प्रशासन ने दोनों पुल के लिए 92-92 लाख की अलग-अलग राशि की व्यवस्था करवायी और टेंडर कराकर इस पुल में जाली लगवा दी। जनता और प्रशासन की कोशिश रंग लाई और यहां होने वाली अात्महत्या की घटनाओं पर अब विराम लग गया है।