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एबीवीपी के 63वां राष्ट्रीय अधिवेशन ने नोटबंदी और जीएसटी को सराहा, प्रस्ताव पारित
By Deshwani | Publish Date: 3/12/2017 6:53:12 PM
एबीवीपी के 63वां राष्ट्रीय अधिवेशन ने नोटबंदी और जीएसटी को सराहा, प्रस्ताव पारित

रांची, (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 63वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन रविवार को प्रस्ताव पारित किये गये। प्रस्ताव में भारत सरकार की राजनीतिक और दृढ़ इच्छा शक्ति से आर्थिक क्रांति की सरहना की गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने एक मजबूत छलांग लगाते हुये अपने प्रभुत्व को स्थापित किया है। अंतराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग संस्था मूडी द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को सबसे तेज गति से बढ़ने वाला बताना, समय-समय पर उठ रही तमाम शंकाओं को खारिज करती है। एबीवीपी भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रहे सकारात्मक बदलावों का स्वागत करती है।

एबीवीपी भ्रष्टाचार के खिलाफ काफी पहले से अभियान चलाते रही है। नोट बंदी भ्राष्टचार को खत्म करने, काला धन और जाली नोट लगाम लगाने में ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। वहीं जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था और अधिक गति मिलेगी। दूसरी ओर कुछ विकास विरोधी लोग जीएसटी पर भ्रम फैला रहे हैं।

दूसरताव में कहा गया है कि जनजातीय समाज विपरित परिस्थितियों में भी देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्य रखते हुये भारत भक्ति का अलख जगाने का काम किया है। दुर्भाग्य से आजादी के 70 साल बाद भी जनजातीय समाज विकास की दौड में पीछे रह गया। एबीवीपी मांग करती है कि भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली को राष्ट्रीय तीर्थ स्थली घोषित किया जाए। छात्रों की दी जाने वाली छात्रवृतियों का जनजातीय महापुरूषों के नाम पर रखा जाए। जनजातीय भाषाओं का संवर्धन हो। सहित कुल 11 मांगों का प्रस्ताव पारित किया गया।

तीसरे प्रस्ताव में भारतीय सेना की सरहाना की गयी। सर्जिकल स्ट्राइक, डोकलाम अभियान और जम्मू-कश्मीर ऑपरेशन ऑल आउट गौरवान्वित करने वाली है। दलबीर भंडारी की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में निर्वाचन से भारत वैश्विक स्तर पर और अधिक मजबूत हुआ है। एबीवीपी का 63वां राष्ट्रीय अधिवेशन भारतीय सेना की रणनीति, सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति और कूटनीति की बड़ी जीत मानती है। वहीं देश के आनेकों नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारी संख्या में नक्सलियों का अत्मसर्मण बताता है कि अब लोगों का माओवादी सिद्धांतों से लोगों का मोहभंग हो रहा है।

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