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झारखंड
झारखंड में नक्सलियों के खात्मे के लिए बूढ़ा पहाड़ पर अभियान जारी
By Deshwani | Publish Date: 11/11/2017 1:26:55 PM
झारखंड में नक्सलियों के खात्मे के लिए बूढ़ा पहाड़ पर अभियान जारी

रांची, ( हि .स.)। नक्सलियों के खात्मे के लिए बूढ़ा पहाड़ के आसपास के क्षेत्रों में सीआरपीएफ और जिला पुलिस का अभियान जारी है। लातेहार पलामू, गढ़वा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराने को लेकर चार राज्यों की पुलिस यहां लगातार अभियान चला रही है। 

सूत्रों के अनुसार 2000 से अधिक सुरक्षाबल और पुलिस के जवान इस अभियान में शामिल किए गए हैं। पुलिस को अभियान में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बूढ़ा पहाड़ के आसपास 08 से 10 किलोमीटर के क्षेत्र में नक्सलियों ने अपनी सुरक्षा के लिए आईईडी बिछा रखा है। आईईडी के वजह से यहां आम लोगों को आने-जाने पर पाबंदी है। झारखंड में नक्सलियों के खात्मे के लिए 24 हजार सीआरपीएफ के जवान सभी नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार अभियान चला रहे हैं। 

केंद्र की ओर से सीआरपीएफ के 22 बटालियन को नक्सल विरोधी अभियान में लगाया गया है। झारखंड पुलिस के लिए बूढ़ा पहाड़ का माओवादी केंद्र सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है । बुढ़ा पहाड़ पिछले कुछ सालों से माओवादियों का नया और सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।

सूत्रों के अनुसार वहां माओवादी के एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद के साथ शीर्ष कमांडर सरगना तेलंगाना के सुधाकरन और उसकी पत्नी जया वही के माओवादी विश्वनाथ प्लाटून के साथ मौजूद हैं । इन माओवादी कमांडो के साथ करीब 80 से 100 की संख्या में दस्ता के सदस्य भी बूढ़ा पहाड़ पर मौजूद हैं। जो अत्याधुनिक विस्फोटकों और अत्याधुनिक ऑटोमेटिक हथियारों से लैस हैं। बूढ़ा पहाड़ में छिपे नक्सली आईईडी बम का रॉकेट लांचर की तरह इस्तेमाल कर पुलिस पर बड़े हमले की योजना बना रहे हैं।

दंडकारण्य से आए माओवादी के विस्फोटक विशेषज्ञ विश्वनाथ बूढ़ा पहाड़ जाने वाले रास्तों पर आईईडी लगा चुका है। माओवादियों के निशाने पर बुढ़ा पहाड़ का छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार का ट्राई जंक्शन का एप्रोच रोड है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माओवादियों के बारे में मिली सूचना से अवगत कराते हुए राज्य पुलिस प्रशासन समेत सभी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को सतर्क किया है। एमएचए ने भी यह जानकारी दी है कि बुढ़ा पहाड़ में शरण लेने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद उर्फ देव कुमार सिंह की सुरक्षा को लेकर माओवादी सक्रिय हैं। माओवादियों ने बुढ़ा पहाड़ के इर्द-गिर्द रहने वाले युवाओं से सुरक्षाबलों के मूवमेंट के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। 

गौरतलब है कि पिछले साल 32 माओवादी नेताओं के मारे जाने के बाद नक्सली बड़े नेताओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। एमएचए ने ऐसे जानकारी दी है कि जिस इलाके में माओवादियों के सीनियर लीडर कैंप कर रहे हैं उन क्षेत्रों में माओवादी संदिग्ध पुलिस मुखबिर पर भी ध्यान रख रहे हैं। पिछले साल माओवादियों के 32 नेता मुठभेड़ में मारे गए थे। इनमें एक सेंट्रल कमेटी मेंबर सहित दो सीनियर कमांडर शामिल थे। उड़ीसा के मलकानगिरी में 24 से 27 अक्टूबर 2016 और केरल के मालापुरम जिले में 24 नवम्बर को हुई मुठभेड़ की घटना शामिल है।

झारखंड की ओर से बूढ़ा पहाड़ पर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है। काफी परेशानी के साथ सुरक्षाबल ऊपर जाते हैं। ऐसे में ऊपर बैठे नक्सली द्वारा आसानी से पुलिस को निशाना बनाए जाने की आशंका बनी रहती है। झारखंड पुलिस की सक्रियता की वजह से माओवादी ने पूरा पहाड़ पर जाने के लिए रास्ता ही बदल दिया है । माओवादी झारखंड के बदले छत्तीसगढ़ की ओर से बूढ़ा पहाड़ पर चढ़ रहे हैं। इस वजह से अब झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस आपसी समन्वय बनाकर अभियान चला रही है। साथ ही अभियान में बिहार व उड़ीसा के जवान भी लगे हुए हैं। इस अभियान में अब तक 12 से ज्यादा जवान घायल हो चुके हैं।

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