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इस रास्ते से ही सुलझ सकता है भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष का मामला!
By Deshwani | Publish Date: 28/2/2019 4:46:35 PM
इस रास्ते से ही सुलझ सकता है भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष का मामला!

वॉशिंगटन। अमेरिकी सांसदों ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को ‘‘गहरी चिंता का विषय’’ करार देते हुए कहा कि परमाणु हथियारों वाले दोनों देशों को युद्ध नहीं, बल्कि वार्ता के माध्यम से अपने मतभेद सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

 
भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद तुलसी गैबार्ड ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान कृपया यह याद रखें कि परमाणु शक्तियों के तौर पर वैश्विक समुदाय के प्रति आपकी यह जिम्मेदारी है कि आप युद्ध नहीं, बल्कि वार्ता के माध्यम से मतभेद सुलझाएं। इस तरह के समय में शांत दिमाग से काम लेना चाहिए।’’ 
 
एशिया, प्रशांत एवं परमाणु अप्रसार के लिए विदेश मामलों की सदन की उपसमिति के अध्यक्ष ब्रैड शेरमैन ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत और पाकिस्तान संकट के मौजूदा दौर में अत्यंत संयम से काम लेंगे। इस संघर्ष को सुलझाने के लिए कूटनीति एकमात्र रास्ता है।’’ 
 
सीनेटर एड मार्के ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ना ‘‘अत्यंत चिंता का विषय’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘परमाणु हथियारों से सम्पन्न दोनों देशों को शांतिपूर्ण तरीके से संकट सुलझाने की प्रतिबद्धता जतानी चाहिए और अमेरिका को सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए।’’ 
 
सीनेटर क्रिस मर्फी ने भारत और पाकिस्तान से अपील की कि दोनों देश तनाव कम करने के लिए उच्चस्तरीय आपातकालीन वार्ता करें।
 
इस बीच ‘लॉन्ग वॉर’ जरनल के संपादक बिल रोगियो ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (इमरान) खान का यह कहना एकदम सही है कि किसी को नहीं पता कि युद्ध कहां लेकर जाता है और इसी लिए पाकिस्तान को अपने देश में हर आतंकवादी समूह को नष्ट करना चाहिए। वे अप्रत्याशित युद्ध छेड़ सकते हैं।’’ 
 
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और यहां तक कि अमेरिका के पास भी 2008 मुंबई हमलों में लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता का सबूत है। पाकिस्तान ने अपने पालतू आतंकवादी समूह को नष्ट करने के लिए कुछ नहीं किया।’’ 
 
‘हेरीटेज फाउंडेशन’ के जेफ एम स्मिथ ने ट्वीट किया, ‘‘मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं कि हालिया घटनाक्रम ने भारत को ‘‘कमजोर’’ दिखाया है। हवाई हमला पुलवामा हमले का जबरदस्त जवाब था जो किसी ने नहीं सोचा था।’’ 
 
स्मिथ ने कहा, ‘‘भारत को इस बात पर भाषण देने का प्रतिकूल प्रभाव होगा कि उसे अपने राष्ट्र की सुरक्षा कैसे करनी है। क्या मैं यह उम्मीद करता हूं कि दिल्ली संयम बरते? हां। मैं इससे भी अधिक यह उम्मीद करता हूं कि दुनिया इस बात को समझे कि यदि वह भारत से संयम चाहती है तो उसे आतंकवादी फैक्ट्रियों को नष्ट करने के लिए अधिक विश्वसनीय योजना की आवश्यकता है।’’ 
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