हनोई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन बुधवार को अपना दूसरा शिखर सम्मेलन वियतनाम की राजधानी हनोई में शुरू करेंगे। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से ट्रंप, उत्तर कोरिया से अपने न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग करेंगे। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी है कि ट्रम्प किम से हनोई के फ्रेंच कॉलोनियल एरा होटल में शाम को मिलेंगे और दोनों के बीच लगभग एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत चलने वाली है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप मंगलवार देर रात हनोई पहुंचे, जहां उनका जबरदस्त भीड़ ने स्वागत किया। यहां भव्य स्वागत के बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए हनोई में शानदार स्वागत और लोगों द्वारा प्यार के लिए धन्यवाद दिया।
वहीं किम, चीन के रास्ते अपनी राजधानी प्योंगयांग से दो दिन की रेल यात्रा करते हुए हनोई पहुंचे। इस रेल यात्रा में उन्होंने लगभग 3,000 किलोमीटर (1,850 मील) की यात्रा सम्पन्न की। ट्रंप ने वियतनाम को दुनिया के कुछ स्थानों की तरह संपन्न देश बताते हुए कहा कि उत्तर कोरिया भी उनमें से बहुत जल्द एक होगा क्योंकि मेरे मित्र किम जोंग उन के लिए इस बार अच्छा मौका है। हमें इस बात का जल्द ही पता चल जाएगा।
ट्रंप के इस सम्मेलन और उत्तर कोरिया के साथ चलने पर अमेरिका में डेमोक्रेट पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर राजनीति तेज हो गई है। जिसके बाद ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया के साथ मुझे क्या करना चाहिए ये डेमोक्रेट पार्टी के लोगों को बात बंद करके, खुद से पूछना चाहिए कि उन्होंने ओबामा के आठ सालों के समय 'यह' क्यों नहीं किया। बता दें कि उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों अप्रैल 2018 में हुए अपने शिखर सम्मेलन के बाद से इस शांति समझौते पर जोर दे रहे हैं।
बता दें कि पिछ्ले सम्मेलन में ट्रंप और किम की मुलाकात में बातें जितनी उम्मीद थी उसके मुताबिक आगे नहीं बढ़ीं। उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियारों को मुक्त करने का कोई ठोस नतीजा नहीं दिखाया था। जबकि उत्तर कोरिया इस बात से निराश है कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर लगी पाबंदियों में छूट देने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद दोनों पक्षों की ओर से इस बार जो संकेत मिले हैं, उससे ट्रंप और किम की मुलाकात के दौरान कुछ कदम उठाए जाने को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं।
अमेरिका में नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक डैन कोट्स ने बीते हफ़्ते सीनेट की एक कमेटी को बताया कि उत्तर कोरिया के नेता का अपने शासन को बनाए रखने के लिए परमाणु हथियार बेहद जरूरी मानते हैं, खासकर उस वक्त में जब अमेरिका उनकी सत्ता को उखाड़ फेंकने की कोशिश करता है।