थिंपू। नेपाल के साथ तल्ख होते भारत के रिश्तों के बीच एक और पड़ोसी देश से टेंशन बढ़ाने वाली खबर आ रही है। नेपाल की ही तरह भारत का एक प्रमुख पड़ोसी देश भूटान के चुनाव नतीजे टेंशन बढ़ाने वाले हो सकते हैं। हालांकि पूरे नतीजे अक्टूबर तक ही आएंगे, लेकिन फिलहाल जो स्थिति है, उसने भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। भूटान में अब तक पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार थी। इसके मुखिया शेरिंग तोबगे हैं। इस पार्टी का झुकाव भारत की ओर माना जाता है, लेकिन अभी जो नतीजे आ रहे हैं, उसके अनुसार, वोटों की गिनती में तोबगे की पार्टी तीसरे नंबर पर पिछड़ गई है।
वहीं एक नई पार्टी 92722 वोटों के साथ ड्रक न्यामरूप शोगपा (डीएनटी) पहले नंबर पर चल रही है। मुख्य विपक्षी दल ड्रक फुनसम शोगमा (डीपीटी) 90,020 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर है। अब मुकाबला डीएनटी और डीपीटी के बीच होगा। फाइनल राउंड 18 अक्टूबर को होगा। भारत की ओर से अभी तक इस चुनाव परिणामों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि भारत इन चुनावों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। फाइनल रिजल्ट के बाद इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी जाएगी।
भारत-चीन-भूटान सीमा पर मौजूद डोकलाम के मुद्दे पर जमकर तनाव रह चुका है। ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि भूटान में ऐसी सरकार हो, जिसका भारत की ओर झुकाव हो। लेकिन अगर डीपीटी चुनाव जीतती है तो भारत के लिए मुश्किल होगी, क्योंकि उसके मुखिया जिगमे थिनले चीन की ओर झुकाव रखते हैं। जब वह 2008 से 2013 तक पीएम रहे थे तो उन्होंने चीन को ज्यादा तरजीह दी थी।
2013 में भारत के भूटान के साथ संबंधों में तनाव आया था, जब भूटान को केरॉसिन और कुकिंग गैस पर दी जा रही सब्सिडी बंद कर दी थी। ये वही वक्त था, जब भूटान में चुनाव थे। इसका असर ये हुआ कि भूटान में पेट्रोल-डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई थीं। उस वक्त भूटान के पीएम की अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात के विरोध में भारत ने यह कठोर कदम उठाया था।