सियोल। दक्षिण कोरिया के 93 अधिकारियों का समूह रविवार को उत्तर कोरिया के लिए रवाना हो गया। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन के बीच आगामी बैठक की तैयारियों के मद्देनजर यह दौरा किया जा रहा है। समाचार एजेंसी योनहाप के मुताबिक, राष्ट्रपति मून मंगलवार से गुरुवार तक प्योंगयांग के दौरे पर रहेंगे। यह उनकी किम जोंग उन के साथ तीसरी वार्ता होगी। दक्षिण कोरिया के 93 सरकारी अधिकारियों की टीम ने 19 बसों में सवार होकर सीमा पार की। इसमें प्रौद्योगिकी संबद्ध स्टाफ और संवाददाता भी हैं।
सियोल की एकीकरण नीति के लिए राष्ट्रपति के सचिव सुह हो ने रवाना होने से पहले संवाददाताओं को बताया, "उत्तर एवं दक्षिण कोरिया वार्ता में सिर्फ तीन दिन बाकी हैं। हमारी टीम वहां लेकर तैयारियों का जायजा लेगी। " उत्तर कोरिया में इस आगामी बैठक को लेकर अखबारों में काफी रिपोर्ट्स प्रकाशित हो रही हैं।
दक्षिण कोरिया के नरमपंथी राष्ट्रपति उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ तीसरे शिखर सम्मेलन के मद्देनजर अपनी नीतियों को लेकर देश में बढ़ते अविश्वास का सामना कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दक्षिण कोरिया की तकरीबन आधी आबादी यह मानती है कि अगले सप्ताह होने वाले शिखर सम्मेलन में परमाणु मसले को हल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
आर्थिक समस्याओं के कारण राष्ट्रपति मून जेइ इन की लोकप्रियता कम होने के बीच यह बात सामने आई है। कोरिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नाम सुंग वूक ने कहा कि अगर मून आर्थिक समस्याओं को हल करने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें केवल उत्तर कोरिया पर अपनी नीति के लिए जनता का समर्थन नहीं मिल सकता। अगर अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ी तो लोग यह मांग करेंगे कि मून उत्तर कोरिया से ध्यान हटाए और अपनी आर्थिक समस्याओं को हल करना शुरू करें।
बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप के दोनों देशों उत्तर और दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को उत्तरी शहर केसोंग में एक संयुक्त संपर्क कार्यालय स्थापित किया था। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन की अगले हफ्ते होने वाली प्योंगयांग यात्रा से पहले दोनों देश आपसी संबंधों में नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण कोरियाई एकीकरण मंत्री चो म्योंग-ग्योन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आज यहां इतिहास के नए अध्याय की शुरुआत हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संपर्क कार्यालय दक्षिण और उत्तर द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित शांति का और एक प्रतीक है।’’