अंतरराष्ट्रीय
स्वात घाटी में अपने घर पहुंचने पर छलक पड़े मलाला के आंसू
By Deshwani | Publish Date: 31/3/2018 3:40:17 PMपेशावर। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला युसूफजई आज स्वात घाटी में अपने पैतृक नगर पहुंचकर रो पड़ीं। लड़कियों की शिक्षा की समर्थन करने वाली मलाला को वर्ष 2012 में तालिबान के आतंकवादियों ने सिर में गोली मार दी थी। वह इस घटना के बाद पहली बार पाकिस्तान आई हैं। पाकिस्तान की सूचना राज्य मंत्री मरियम औरंगजेब यात्रा के दौरान मलाला के साथ थीं। अपने पैतृक नगर में मलाला अपने बचपन के दोस्तों और शिक्षकों से पांच साल बाद मिलीं।
उन्होंने बताया कि मलाला थोड़ी देर तक अपने घर पर रूकने के बाद हवाई रास्ते से स्वात कैडेट कॉलेज गईं, जहां वह एक समारोह को संबोधित करने वाली हैं। इसके अलावा वह सांगला जिले मेंलड़कियों के एक स्कूल का उद्घाटन करेंगी। एक साक्षात्कार में मलाला ने बताया था कि जैसे ही वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लेंगी, वह स्थायी तौर पर पाकिस्तान वापस लौट आएंगी। मलाला ने कहा, “ मेरी योजना पाकिस्तान लौटने की है क्योंकि यह मेरा देश है। जैसे किसी अन्य पाकिस्तानी नागरिक का अधिकार पाकिस्तान पर है, वैसे ही मेरा भी है।”
मलाला को लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने के लिए साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ यह पुरस्कार दिया गया था। अब मलाला 20 साल की हो चुकी हैं। मात्र 17 साल की उम्र में वह नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की कार्यकर्ता हैं। पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी मलाला पाकिस्तान नहीं लौट पाई थीं। वह ब्रिटेन में रहती हैं और वहां मलाला फंड की स्थापना करके पाकिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया और केन्या की लड़कियों की शिक्षा के लिए वहां के स्थानीय समूहों की मदद करती हैं। वह फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही हैं.