वाशिंगटन । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इमीग्रेशन पर कड़े रूख के कारण उच्च शिक्षा, रोजगार और अपने अभिभावकों के साथ अमेरिका में स्थाई रूप से रहने वाले भारतीय 'ड्रीमर' भी हतोत्साहित हैं। ये सभी ऐसे ड्रीमर हैं, जो विभिन्न विधाओं में अपने कुशलकर्मी अभिभावकों के एच-1 वीज़ा के साथ छोटी उम्र में पारिवारिक सदस्य के रूप में आए थे।
इन भारतीय ड्रीमरों ने पिछले सप्ताह कैपिटल हिल पर 'रिपब्लिकन हिंदू कुआयलेशन' मंच के बैनर के नीचे प्रदर्शन कर जनप्रतिनिधियों को स्मरण कराया था कि उनके लिए ‘स्थाई वीज़ा’ का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया तो उन्हें बाध्य होकर 21 वर्ष की आयु होते ही अपने परिवार से दूर भारत लौटने पर विवश होना पड़ेगा। अमेरिकी प्रशासन ने कुशल कर्मियों को दिए जाने वाले एच-1 वीज़ा के साथ नियमानुसार सपाउस और 21 साल से नीचे के बच्चों को तो साथ रहने की इजाज़त दे दी, लेकिन अब जबकि उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कालेज और रोज़गार की दरकार है, तो प्रशासन छूट देने को तैयार नहीं है।
शुक्रवार की सुबह कांग्रेस में सीनेट और प्रतिनिधि सभा ने पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर दो वर्षों के लिए जो बजट प्रस्ताव पारित किए हैं, उनमें राष्ट्रपति के 'निदेशानुसार' सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी ने सैन्य शक्ति को बलशाली बनाने के निहितार्थ अधिकाधिक धनराशि का आवंटन कराने में सफलता हासिल कर ली। बदले में नागरिक प्रशासन, प्राकृतिक आपदाओं-हरिकेन और जंगली आग तथा स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं आदि के लिए भी अतिरिक्त बजट का प्रावधान करा दिया। लेकिन इमीग्रेशन के मुद्दे पर देश में क़रीब ग्यारह लाख ‘ड्रीमर’ को भरोसा स्थाई निवासी बनाने का भरोसा नहीं दिलाया।
ट्रम्प ने पिछली 5 सितम्बर को डेफरड एक्शन चाइल्डहुड अराइवल (डीएसीए) के अंतर्गत क़रीब ऐसे आठ लाख बच्चों को सरकारी तौर पर दो दो वर्ष के लिए दिए जाने वाले संरक्षण और रोज़गार योजना को ख़त्म करने के कार्यकारी आदेश दिए थे। उन्होंने साथ ही इस आदेश में कांग्रेस से अगले छह महीनों में इमीग्रेशन पर व्यापक क़ानून बनाए जाने का निवेदन किया था। अब यह तिथि जैसे जैसे समीप आ रही है, मेक्सिको और अलसालवाड़ोर के लाखों बच्चों के साथ भारतीय बच्चे भी हताश निराश हैं। सवाल यह है कि मेक्सिको और अलसालवाड़ोर से आए बच्चे अवैध रूप से आए थे, जबकि भारतीय बच्चे तो वैध रूप से अपने अभिभावकों के साथ आए थे।