बीजिंग (हि.स.)। डोकलाम विवाद सुलझने के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव कम होने का दावा जरूर किया जा रहा है, मगर असल में चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह भारतीय सीमाओं पर कब्जे की लगातार कोशिश कर रहा है।
दरअसल, चीन ने अब अपनी रणनीति बदल दी है। भारत के साथ 4,057 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना के अतिक्रमण के तरीकों में बड़ा बदलाव दिख रहा है। पहले चीनी सेना एलएसी के नजदीक अस्थायी ढांचे बनाती थी या भारत की ओर से बनाए गए अस्थाई ढांचों को नष्ट करती थी, लेकिन अब वह स्थाई ढांचे बनाने की कोशिश कर रही है।
जानकारों का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश तुतिंग इलाके में हाल ही में चीनी सेना ने अतिक्रमण की कोशिश की जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया है। यह घटना पिछले वर्ष डोकलाम में हुए विवाद जैसी ही थी। चीन इस क्षेत्र में सड़क बनाने की कोशिश कर रहा था।
जानकारों का कहना है कि चीन का लक्ष्य एलएसी पर मौजूदा स्थिति में बदलाव करना है और इसी वजह से उसकी सेना भारतीय क्षेत्र के अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रही है। इससे चीन बाद में भारत के साथ सीमा को लेकर बातचीत में अपना पक्ष मजबूत कर सकता है।
अरुणाचल प्रदेश की हाल की घटना चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का दोबारा जनरल सेक्रेटरी चुने जाने के बाद इस तरह का पहला विवाद है।
दरअसल, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के केंद्र में अरुणाचल प्रदेश (90,000 वर्ग किलोमीटर) का मुद्दा है। अरुणाचल प्रदेश को चीन 'दक्षिण तिब्बत' कहता है। चीन की मांग है कि अगर पूरा अरुणाचल प्रदेश नहीं तो कम से कम तवांग का क्षेत्र उसे हस्तांतरित किया जाए। चीन ने तवांग हस्तांतरण के बिना सीमा विवाद के निपटारे की संभावना से इंकार किया है। हालांकि भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।