वाशिंगटन, (हि.स.)। ट्रम्प प्रशासन के एच-1बी वीजा नीति में बदलाव के प्रस्ताव से अमेरिका में 75 हजार भारतीयों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
सॉफ्टवेयर उद्योग की संस्था नैस्कॉम ने इसे लेकर चिंता जताई है और अमेरिकी प्रशासन से बातचीत की कोशिश करने की बात कही है। लेकिन ट्रंप प्रशासन अमेरिकी युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' की नीति पर काम कर रहा है और इस वीजा के दुरुपयोग रोकना चाहता है। इस प्रस्तावित बदलाव के तहत, न्यूनतम वेतन और प्रतिभओं के आवागमन को लेकर पाबंदियां लगाए जाने की बात कही गई है।
विदित हो कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनॉल्ड ट्रंप ने यह मुददा उठाया था। उन्होंने अमेरिकी युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही थी। इसके बाद ट्रंप प्रशासन 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' पॉलिसी अपना रहा है।
दरअसल, कई अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों से कम सैलरी पर कर्मचारियों को हायर करती हैं। इसमें भारतीय सबसे आगे हैं। इससे अमेरिकी युवाओं को नौकरी मिलने के अवसर कम हो जाते हैं। चुनाव के बाद प्रशासन ने एक मेमोरेंडम जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स एच-1बी वीजा के पात्र नहीं होंगे।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा भारतीयों के पास हैं। यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विस की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2007 से जून 2017 तक 34 लाख एच-1बी वीजा आवेदन मिले। इनमें भारत से 21 लाख आवेदन थे।
इसी दौरान अमेरिका ने 26 लाख लोगों को को एच-1बी वीजा दिया। हालांकि, रिपोर्ट में ये साफ नहीं हो पाया कि अमेरिका ने किस देश के कितने लोगों को वीजा दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, एच-1बी वीजा पाने वालों में 23 लाख की उम्र 25 से 34 साल के बीच है। इनमें 20 लाख आईटी सेक्टर की नौकरियों से जुड़े हुए हैं।