सैन डीएगो, (हि.स.)। कैलिफ़ोर्निया के दक्षिण में स्थित जुलियन की ख़ूबसूरत पहाड़ियों में बसे एक कैथोलिक रिसार्ट में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का शिक्षा वर्ग उल्लास के साथ संपन्न हो गया।
शिविर में दूर दराज़ से आए शिक्षक और शिक्षार्थी को संदेश दिया गया कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहेंगे। समापन पर संभाग संघ चालक बाबू भाई गांधी, संस्कृत के विद्वान राम सेशन और डा. नाग भूषण और सुश्री प्रतिभा गोयल मौजूद थीं।
सैन डिएगो से 29 मील दूर ठिठुरती ठंड के बीच इस शिविर में हिंदू स्वयं सेवक संघ के प्रशांत--दक्षिण पश्चिम संभाग के क़रीब 130 लोगों ने एक ख़ुशनुमा पारिवारिक माहौल में भाग लिया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। हेमंत रस्तोगी के नेतृत्व में महिला और पुरुष स्वयं सेवक मिलजुल कर अल्पाहार और दो वक़्त के भोजन बनाते थे।
इस बार एक ख़ास बात यह रही कि जुलियन की पहाड़ियों में बर्फ़ नहीं गिरने से वायरस के प्रकोप ने एक तिहाई शिक्षक और शिक्षार्थियों को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बावजूद सीखने और सिखाने का दृढ़ संकल्प लेकर आए स्वयं सेवकों ने हार नहीं मानी।
शिविर कार्यवाह राजू गुटला ने बड़े फक्र के साथ अपनी रिपोर्ट में कहा कि शिक्षक और शिक्षार्तियों ने अस्वस्थ होने के बावजूद नियमित रूप से सभी गतिविधियों में भाग लिया, जो उत्साह वर्धक तथा प्रेरित करने वाले क्षण थे। ये कार्यक्रम सुबह छह बजे से रात्रि दस बजे तक चलते थे।
इस संदर्भ में श्री राम सेशन ने अपने उदबोधन में कहा कि हिंदुत्व की जड़ें बड़ी मज़बूत है और संघ शाखाओं में सीखने और सिखाने पर सैदेव ज़ोर दिया जाता है। ज़रूरत इसी बात की है कि ‘हम सांकृतिक धरोहर से जुड़े रहें।’ बाबू भाई ने कहा कि वैदिक शिक्षा अनंत और शाश्वत है। इस ज्ञान की अग्नि को सैदेव प्रज्ज्वलित रखना चाहिए।
वैसे तो रिसार्टनुमा विस्परिंग विंड्ज़ कैथोलिक सेंटर की पांच बड़ी इमारतों में शिक्षकों और शिक्षार्थियों के शयन कक्ष, डाइनिंग हाल और बैठकों के लिए सभाकक्ष वातानुकूलित थे, लेकिन सवेरे खुले आसमान के नीचे शारीरिक व्यायाम, पदचाप, योगचाप, बैंड और दंड प्रशिक्षण चुनौती भरे थे।