यरूशलेम : सं.रा. महासभा में अमेरिका को लगा झटका
न्यूयार्क, (हि.स.)। यरुशलम को राजधानी बनाए जाने की अमेरिकी घोषणा के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और श्रीलंका सहित अमेरिका के तमाम यूरोपीय मित्र देशों ने अपनी मुहर लगा दी।
इस प्रस्ताव के समर्थन में 128 मत पड़े, जबकि विरोध में अमेरिका सहित नौ देश थे। कनाडा, मेक्सिको और आस्ट्रेलिया, लैटिन अमेरिका और अफ़्रीकी देशों सहित 35 देशों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई। फ़िलिस्तीन इसे अपनी जीत के रूप में देख रहा है। महसभा के 193 सदस्य हैं।
अमेरिकी राजदूत निकी हेले ने मतदान के बाद कहा कि इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। यरुसलम को अपनी राजधानी बनने का अमरिकी फ़ैसला अटल है। अमेरिका को यह दिन याद रहेगा। इससे पूर्व अमेरिका ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में वीटो का इस्तेमाल किया था, जबकि शेष सभी चोदह देश एक ओर थे। महासभा की बैठक में प्रस्ताव पारित किए जाने की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है, सिवाय इसके कि विश्व मंच पर अमेरिका की तौहीन हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने महसभा की बैठक से एक दिन पूर्व महसभा के सदस्य देशों को आगाह किया था कि प्रस्ताव के समथन में मत देने वाले देशों की आर्थिक मदद रोक दी जाएगी। अमेरिका ने साल 2016 में सब सहारा देशों को आर्थिक और सैन्य सहयोग में तेरह अरब डालर दिए थे, जबकि पूर्वी एशियाई देशों को करीब डेढ़ अरब डालर दिए थे।
संयुक्त राष्ट्र महसभा में अमेरिकी राजदूत निक्की हेले ने भी सभी देशों को चेतावनी दी थी की वह प्रस्ताव के समर्थन में मत देने वालों पर निगाह रखेंगी।
तुर्की के प्रधानमंत्री रिसेप तैयप ने अंकारा में टेलीविजन के जरिए सदस्य देशों से कहा की उन्हें अमेरिका के किसी भी दबाव में आने की ज़रूरत नहीं है। अमेरिकी डॉलर के बदले में वे अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की तिलांजलि नहीं दे सकते हैं।