कैलिफोर्निया, (हि.स.)। यहां की सेंटा मोनिका की पहाड़ियों में मालिबु स्थित दक्षिण भारतीय शैली में बने वेंकटेश्वर और शिव मंदिर दुनिया भर में इकलौता ऐसा विशाल मंदिर है, जहां ब्रह्मा और सरस्वती की मूर्तियां एक साथ देखी जा सकती हैं। इस मंदिर के इर्द-गिर्द शहर से दूर सैकड़ों ऐसे दक्षिण भारतीय परिवार हैं, जो यहां नियमित पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
इस मंदिर के विद्वान मुख्य पुजारी नरसिम्हा भत्तार का कहना है कि सरस्वती विद्या की देवी हैं और मंदिर के प्रबंध मंडल ने इसी भाव को प्रमुखता देते हुए मंदिर में ब्रह्मा और सरस्वती की मूर्तियां स्थापित की हैं।
इस संबंध में मंदिर के ट्रस्टी, शोधकर्ता और टेक्नोक्रेट वरदराजन कहते हैं कि अमेरिका में शिक्षा और शोध पर जोर दिया जाता है तो फिर सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा और विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना करना अप्रासंगिक नहीं है।
विदित हो कि भारत में ब्रह्मा की पूजा केवल पुष्कर (राजस्थान) स्थित उनके एक मात्र मंदिर में होती है। कहा जाता है कि श्राप के कारण सृष्टि के रचयिता का कहीं और मंदिर नहीं बन पाया। इसलिए अमेरिका के एक ही मंदिर में ब्रह्मा और सरस्वती की मूर्तियों का होना और भी आश्चर्यजनक है।
विदित हाे कि कैलिफोर्निया में बड़ी संख्या में पंजाबी परिवार रहते हैं जिनमें अधिकांश मां दुर्गा के उपासक हैं। यही वजह है कि आगामी महाशिवरात्री से पूर्व यहां अष्टभुजा दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाएगी।
वरदराजन कहते हैं कि अमेरिका में अपने ढंग का यह पहला मंदिर है, जहां संतोषी माता की मूर्ति भी प्रतिष्ठित है। हिंदुओं में एक ही स्थान पर लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की मूर्तियों के एकात्म स्वरूप के रूप में संतोषी माता का मंदिर होना एक विलक्षण पहल है।
खास बात है कि इस मंदिर में महीने भर में तिथियों के अनुरूप पूजा अर्चना की सूचनाएं इंटरनेट और पर्ची के जरिए दी जाती हैं। नव वर्ष के उपलक्ष्य में 31 दिसम्बर को देर रात तक भगवान वेंकटेश्वर के निमित भजन कीर्तन होता है और दर्शनार्थियों की काफी भीड़ रहती है। इस आयोजन में दक्षिण भारतीय परिवारों के अलावा के अन्य लोग भी भाग लेते हैं।