इस्लामाबाद, (हि.स.)। मुंबई हमले के सूत्रधार हाफिज सईद की रिहाई भले ही गुरुवार को (आज) हो सकती है, लेकिन उसने अपनी रिहाई का जश्न पिछले महीने ही मना लिया था। अर्थात उसकी रिहाई का भी रास्ता साफ हो चुका था।
हाफिज सईद के वकील ने मीडिया से खास बातचीत में यह साफ भी कर दिया कि पाकिस्तान की सरकार ने अदालत में कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया। भारत ने हाफिज सईद के खिलाफ जो सबूत पाकिस्तान को दिए थे उसे देखा भी नहीं गया।
विदित हो कि अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो ने भी मुंबई हमले की जांच की थी। उसकी जांच रिपोर्ट भी अदालत में नहीं दी गई। जब मुंबई हमले के बाद साल 2008 में हाफिज को पकड़ा गया था, तब भी उसे छोड़ दिया गया था।
सिर्फ कहने के लिए पाकिस्तान की सरकार लाहौर हाई कोर्ट में हाफिज सईद के खिलाफ केस लड़ रही थी और उसको रिहा करने पर पाकिस्तान के समक्ष खड़ी होने वाली मुसीबतें भी बता रही थीं। लेकिन कोर्ट में सबूत ना रखकर हाफिज को निकालने का रास्ता भी खोल दिया।
रिहाई के बाद हाफिज सईद ने संवाददाताओं से कहा, “जजों ने मेरी रिहाई का हुक्म दिया। हुकूमत के कारिंदे, अफसर आकर कह रहे थे कि इनको रिहा नहीं करना, लेकिन जजों ने उनकी नहीं सुनी। लाहौर हाई कोर्ट के तमाम वकीलों ने मेरा साथ दिया। यह पाकिस्तान की आजादी की फतह है। कश्मीर भी आजाद होकर रहेगा। कश्मीर की वजह से भारत मेरे पीछे पड़ा है। उसकी हर कोशिश बेकार गई।”
दरअसल, पाकिस्तान भी चाहता है कि हाफिज की आतंक की फैक्ट्री जोर शोर से चलाती रहे। अब वह 10 महीने बाद फिर वही सब करेगा। इन 10 महीने में उसने एक राजनैतिक पार्टी भी बना ली है। जमात-उद-दावा किसी दौर में आतंकवादी था अब यह संगठन सामाजिक और सियासी कामों में भी लग गया है।