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बच्चों सहित 30 फीसदी लोग मोटापे का शिकार
By Deshwani | Publish Date: 19/1/2017 12:54:57 PM
बच्चों सहित 30 फीसदी लोग मोटापे का शिकार

 नई दिल्ली,  (आईपीएन/आईएएनएस)। बच्चे सहित समाज के 30 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार हैं। भारत पाचनतंत्र सिंड्रोम की महामारी का गवाह बन रहा है, जिसमें तोंद निकलना, हाई ट्रिग्लिसाइड, लो कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और हाई शूगर प्रमुख हैं। पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा पेट का घेरा और महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से ज्यादा इस बात का संकेत है कि वह दिल के दौरे के खतरे की जद में हैं। ’सामान्य वजन मोटापा’ एक नई समस्या के रूप में उभरी है। कोई व्यक्ति तब भी मोटापे से पीड़ित हो सकता है, जब उसका वजन संतुलित हो। पेट के गिर्द एक इंच अतिरिक्त चर्बी दिल के रोगों का खतरा डेढ़ गुना बढ़ा देता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष के. के. अग्रवाल ने कहा, “आम तौर पर जब कद बढ़ना बंद हो जाता है तो दूसरे अंगों का विकास भी रुक जाता है। दिल, गुर्दे और फेफड़ों का वजन उसके बाद नहीं बढ़ता। उसके बाद मांसपेशियां ही बनती हैं। उसके बाद शरीर का वजन केवल चर्बी जमा होने से बढ़ता है।“
उन्होंने कहा, “यौवन के आरंभ के बाद जितना भी वजन बढ़ता है चर्बी की वजह से ही बढ़ता है। इस तरह कुल वजन तो सामान्य हो सकता है, लेकिन यह अतिरिक्त वजन उस व्यक्ति के लिए असामान्य भी हो सकता है। 20 साल के बाद लड़कों और 18 साल के बाद लड़कियों का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए।“
अग्रवाल ने कहा, “पेट का मोटापा रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स के सेवन से जुड़ा हुआ है न कि मांस से प्राप्त चर्बी से। सामान्य मोटापा मांस की चर्बी से होता है। सफेद चावल, मैदा और चीनी रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स में आते हैं। भूरी चीनी, सफेद चीनी से बेहतर है।“
उन्होंने कहा, “रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स बुरे काबोर्हाईड्रेट्स होते हैं और मांस की चर्बी बुरी चर्बी होती है। ट्रांस फैट और वनस्पति घी सेहत के लिए बुरा होता है। ट्रांस फैट बुरे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और अच्छे को कम करता है। वजन कम होने से खर्राटे कम होते हैं, आर्थराइटिस का दर्द कम होता है, ब्लड प्रेशर और अनियंत्रित डायबिटीज नियंत्रित होते हैं।“
बच्चों में मोटापे के खतरे:
’ हाईपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रोल, जो गंभीर दिल के रोगों का कारण हैं।
’ शरीर में ग्लूकोज सहनशीलता का असंतुलन और इंसुलिन प्रतिरोधात्मकता
’ सांस के विकार, स्लीप एपनिया और दमा
’ जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों और हड्डियों के विकार
’ लीवर में सूजन और दिल की जलन
’ सामाजिक हीन भावना, आत्म-विश्वास में कमी और लगातार तनाव
कुछ अहम बातेंः
’ सप्ताह में एक बार कार्बोहाईड्रेट्स से परहेज करें
’ मीठे आहार को कड़वे आहार से मिला कर लें जैसे आलू-मटर की जगह आलू-मेथी लें
’ सैर करें, सैर करें और सैर करें
’ हरी कड़वी चीजें खाएं, जैसे करेला, मेथी, पालक, भिंडी
’ वनस्पति घी या ट्रांसफैट बिल्कुल न खाएं
’ एक दिन में 80 एमएल से ज्याद सॉफ्ट डिं्रक ना पिएं
’ 30 प्रतिशत से ज्यादा मीठे वाली मिठाईयां ना खाएं
’ मैदा, चावल और सफेद चीनी से बचें
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