ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
मनोरंजन
वरुण धवन की ''अक्‍टूबर'' अलहदा इश्‍क की ''खूबसूरत सी'' कहानी है
By Deshwani | Publish Date: 13/4/2018 2:39:10 PM
वरुण धवन की ''अक्‍टूबर'' अलहदा इश्‍क की ''खूबसूरत सी'' कहानी है

 नई दिल्‍ली। बॉलीवुड एक्‍ट्रर वरुण धवन फिल्‍मों में नाचने-गाने और काफी लाउड किरदार करने वाले वरुण, निर्देशक शूजित सरकार की फिल्‍म 'अक्‍टूबर' में डेन बने नजर आए हैं। इस फिल्‍म की सबसे बड़ी सफलता यही है कि 'अक्‍टूबर' देखते हुए जब आप डेन से मिलेंगे तो आपको वरुण धवन कहीं याद नहीं आएंगे। 'अक्‍टूबर' ने बनिता संधू के तौर पर बॉलीवुड को एक मेच्‍योर एक्‍ट्रेस दी है। लेकिन फिल्‍म की असली हीरो उसकी कहानी है जिसका सारा क्रेडिट लेखिका जूही चतुर्वेदी को मिलना चाहिए।

डेन (वरुण धवन) होटल मैनेजमेंट का स्‍टूडेंट है और दिल्‍ली के एक 5 सितारा होटल में अपना कोर्स कर रहा है। डेन को होटल स्‍टाफ मैनेजर अक्‍सर सफाई के काम में ही लगाए रखता है। जबकि वह बार या होटल के रेस्‍तारां में काम करने के लिए मिन्नतें करता रहता है. डेन, अपनी इस चिड़चिड़ाहट को अपने काम में निकालता रहता है और उसे इसके चक्‍कर में मैनेजर से सजा भी मिलती है। इसी बैच में एक साउथ इंडियन लड़की भी स्‍टूडेंट है शिवली अय्यर (बनिता संधु), जो काफी होशियार है। होटल में चल रही 31 दिसंबर की पार्टी में वरुण नहीं पहुंचता है और इसी पार्टी में एक हादसा होता है और शिवली घायल हो जाती है। यूं तो डेन और शिवली की इस बीच कोई बातचीत या दोस्‍ती नहीं दिखाई गई है, लेकिन अस्‍पताल के बिस्‍तर पर पड़ी शिवली को देख डेन को एक अनोखा बंधन महसूस होता है।
 
निर्देशक शूजित सरकार अपनी पिछली फिल्‍म 'पीकू' में कब्‍ज जैसे विषय पर मीठी सी कहानी कह गए, वैसी ही एक मिठास और खूबसूरती 'अक्‍टूबर' भी परोसती है। हालांकि दोनों फिल्‍मों की तुलना किसी भी स्‍तर पर एक-दूसरे से नहीं की जा सकती है। फिल्‍म की कहानी जूही चतुर्वेदी ने लिखी है, जो इससे पहले भी 'विक्‍की डोनर' और 'पीकू' जैसी बेहद अलग विषय की कहानियां लिखकर दर्शकों और आलोचकों से पहले ही तारीफें बटोर चुकी हैं। 'अक्‍टूबर' जैसी कहानी लिखने के लिए भी जूही को कुछ वैसी ही तारीफें मिलनी चाहिए। अस्‍पताल के आईसीयू में कोमा में पड़ी शिवली को देखने पहुंचते डेन, शिवली की मां के दर्द को आप सिनेमाघर में बैठकर महसूस कर सकते हैं। प्‍यार की एक बेहद खूबसूरत तस्‍वीर 'अक्‍टूबर उकेरती नजर आती है। हालांकि इंटरवेल के बाद की फिल्‍म के कुछ हिस्‍सों को थोड़ा तेज किया जा सकता था।
 
एक्टिंग की बात करें तो अपनी कमर्शियल फिल्‍मों के बंडल में वरुण इससे पहले फिल्‍म 'बदलापुर' में भी अपनी एक्टिंग का नमूना दिखा चुके हैं। मैं वरुण धवन की कभी भी बड़ी फैन नहीं रही, लेकिन इस‍ फिल्‍म के डेन से मुझे भी प्‍यार हो गया। अक्‍सर 'थोड़े में ज्‍यादा' का मजा देने की कोशिश में लगे रहने वाले वरुण धवन ने इस फिल्‍म में अपनी आंखों से कमाल किया है। डेन की चिड़ से लेकर उसके सवालों तक, आपको सब पसंद आएगा। 'अक्‍टूबर' में वरुण धवन की परर्फोमेंस ऐसी है कि सालों बाद भी जब वरुण धवन के करियर पर बात की जाएगी तो उनकी इस फिल्‍म का जिक्र तारीफों के साथ जरूर होगा।
 
इस फिल्‍म से पहली बार बॉलीवुड में एंट्री कर रहीं बनिता संधु आपको इस फिल्‍म में कुछ ही शब्‍द बोलती नजर आएंगीं। लेकिन बिस्‍तर पर कोमा मरीज बनने से लेकर व्‍हील चेयर पर आने तक, उन्‍होंने हर फीलिंग को दर्शकों तक पहुंचाया है। बनिता के तौर पर बॉलीवुड को एक मेच्‍योर एक्‍ट्रेस मिली है। फिल्‍म में बनीता संधु की मां का किरदार करने वाली एक्‍ट्रेस गीतांजति रॉय ने भी तारीफ के काबिल काम किया है। अगर आप वरुण धवन की बाकी फिल्‍मों की तरह की किसी मसाला फिल्‍म की उम्‍मीद से 'अक्‍टूबर' देखने जाएंगे तो आप जरूर निराश होंगे। लेकिन अगर आप फिल्‍मों के शौकीन है और एक खूबसूरत कहानी देखना चाहते हैं तो 'अक्‍टूबर' आपके लिए ही बनी है।
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS