नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने “दक्षिण एशिया और चीन में खाद्य और पोषणिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्यनीतिपरक सहभागिता” पर पांचवीं क्षेत्रीय समन्वय बैठक के लिए दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी राष्ट्रों के इस सम्मानीय सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए इस पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि इस मंच से सदस्य देशों को अपने क्षेत्र के साथ ही कई रूप से भूख और गरीबी को दूर करते हुए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि करने का अवसर प्राप्त होगा।
यहां मंगलवार को आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि में भारत की सामर्थ्य बहुत अधिक और विविध है। हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे पास विश्व की सबसे मजबूत राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली है। भौगोलिक रूप से, हमारे पास दूसरा सबसे बड़ा कृषि योग्य भू-क्षेत्र है और 127 से भी अधिक विविध कृषि जलवायु क्षेत्र है जिससे फसलों की संख्या की दृष्टि से भारत वैश्विक रूप से नेतृत्व कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम चावल, गेहूं, मछली, फल और सब्जियों के उत्पादन की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर हैं। भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश भी है। यहां तक कि पिछले दशक में हमारे बागवानी क्षेत्र में भी 5.5 प्रतिशत वार्षिक की औसत विकास दर प्राप्त हुई है।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि इन सबके बावजूद भारत में खेती में अभी भी अनेक चुनौतियां हैं। किसान हमारे प्रमुख स्टॉकहोल्डर हैं और इसे ध्यान में रखते हुए हमने उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर को बढ़ाने के लिए कृषि उपज को बढ़ाने और अपने किसानों की आय दोगुना करने के लिए अनेक नई पहल की हैं। उन्होंने कहा कि भारत में गुणवत्ता बीजों की पर्याप्त मात्रा में समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दलहन हेतु 150 सीड-हब की स्थापना की नई पहल प्रारंभ की गई। अन्य फसलों के लिए सीड-हब की स्थापना का कार्य भी किया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ समन्वय केन्द्र जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), राष्ट्रीय तिलहन एवं तेलताड़ मिशन (एनएमओओपी), 'राष्ट्रीय बागवानी मिशन' (एनएचएम) को कार्यान्वित किया जा रहा है। भारत इस डोमेन में इकार्डा के खाद्य फली अनुसंधान प्लेटफार्म (एफएलआरपी) को भी शामिल करना चाहता है। भारत और इकार्डा का कृषि अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग रहा है, जो इन वर्षों में और अधिक मजबूत हुआ है।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में इकार्डा 8 आईसीएआर संस्थानों और 15 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को सहयोग दे रही है और इसने भारत में कई हजार भू-प्रजातियों वन्य प्रजातियों और इसकी अधिदेशित फसलों के नए विकसित प्रजनन वंशक्रमों को जारी किया है और इन्हें अपने साझेदारों के साथ साझा किया है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारत, अनुसंधान हेतु इकार्डा जननद्रव्यों के लिए विश्व का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है।
इस सम्मेलन में अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, चीन, इथोपिया, मिस्त्र, भारत, मोरक्को, नेपाल, पाकिस्तान और सूडान के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन में विकास के लिए कृषि अनुसंधान में दक्षिण- दक्षिण सहयोग पर चर्चा होगी।