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पद्मावती फिल्म के विरोध में भीण्डर बंद, निकली रैली
By Deshwani | Publish Date: 21/11/2017 1:23:21 PM
पद्मावती फिल्म के विरोध में भीण्डर बंद, निकली रैली

उदयपुर, (हि.स.)। राजस्थान सहित देश के तीन राज्यों की सरकारों ने फिल्म पद्मावती पर बैन लगा दिया है। राजस्थान सरकार ने भी फिल्म के प्रदर्शन पर सोमवार को आखिरकार निर्णय ले लिया। 

उदयपुर जिला परिषद ने भी इसके विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके बाद भी विरोध-प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म के विरोध में मंगलवार को जिले का भीण्डर कस्बा फिल्म के विरोध में बंद रहा। यहां भी सर्वसमाज फिल्म के प्रदर्शन के विरोध में एक दिखा। कस्बे में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता सुबह से बंद कराते रहे, वहीं कइयों ने स्वत: ही अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। सुबह से भीण्डर बंद के तहत जगह-जगह पुलिस भी तैनात रही। 

सुबह विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता और समाज प्रमुख भीण्डर के भीण्डेश्वर महादेव मंदिर परिसर में एकत्र हुए। यहां से रैली निकली। सभी ने पद्मावती फिल्म का विरोध दर्ज कराते हुए एकजुटता दिखाई। सूरजपोल पर हुई सभा में वक्ताओं ने इतिहास के साथ हुई छेड़छाड़ और महान वीरांगना रानी पद्मावती के अपमान की घोर निंदा की। सभी ने इस फिल्म पर पूरी तरह बैन लगाने की सरकार से मांग की। बाद में प्रतिनिधिमण्डल ने समस्त भीण्डरवासियों की ओर से राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा है कि शौर्य, पराक्रम और भक्ति की पावनधरा मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस धरा पर रणबांकुरों और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर इस महान राष्ट्र की अस्मिता और पहचान को अक्षुण्ण रखने का महान कार्य किया है। सच्चाई तो यह है कि महाराणा प्रताप जैसे युगपुरुष ने मेवाड़ी आन-बान और शान के रक्षण के लिये अपना जीवन तक दांव पर लगा दिया। इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ साक्षी हैं कि मेवाड़ राजघराने की महारानी पद्मिनी ने शील और पतिव्रता धर्म के रक्षण के लिये 16 हजार क्षत्राणियों के साथ जौहर कर लिया। ऐसी महान राष्ट्र माता पद्मावती को लेकर निर्माता निदेशक संजय लीला भंसाली ने हमारे गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर हमारी आस्था, अस्मिता और पहचान को गहरी चोट पहुंचाने की ओछी हरकत की है, जो निंदनीय है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मर्यादा लांघना उचित नहीं, उन पर समय रहते लगाम लगाई जानी चाहिये। मां सीता जो अपने शील के रक्षण के लिये धरती में समा गई तो महान सतीव्रता पद्मिनी ने अपने आपको अग्रिदेव को समर्पित कर दिया। समस्त भीण्डरवासी भंसाली की इस हिमाकत की घोर निंदा करते हुए भारत सरकार सेे मांग करते हैं कि इस फिल्म को पर्दे पर प्रदर्शित करने की इजाजत नहीं दे। 

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