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संपादकीय
अलकायदा की धमकी के बीच भारत का दायित्व
By Deshwani | Publish Date: 28/12/2017 11:15:54 AM
अलकायदा की धमकी के बीच भारत का दायित्व

सियाराम पांडेय ‘शांत’

भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हाल ही में एक बयान दिया है कि अब समय आ गया है जब भारत को पाकिस्तान के कई टुकड़े कर देना चाहिए। पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखने वाले राजनीतिक दलों को सुब्रह्मण्यम स्वामी का यह सुझाव पसंद नहीं आया होगा लेकिन जब अलकायदा की ओर से दिल्ली और मुंबई पर हमला कर भारत के हाथ से कश्मीर को छीनने के दावे किए जा रहे हैं तब भारत को क्या करना चाहिए, यह बताने और जताने की जरूरत नहीं है।

 

भारत को अस्थिर करने के प्रयास सदियों से होते रहे हैं। जब पाकिस्तान का जन्म भी नहीं हुआ था और वह भारत का ही अंग था तब भी भारत पर आसुरी शक्तियों के हमले होते रहे। आतंकवादियों को भी असुर कह सकते हैं। भारतीय आदिवासियों में असुर जनजाति के लोग हमें क्षमा करें, हमारा मंतव्य उनसे हरगिज नहीं है। आसुरी शक्तियों को वैदिक युग में भी मुंहतोड़ जवाब दिया जाता रहा है और आज भी दिया जा रहा है। मोसुल में पहले ही अलकायदा मुंह की खा चुका है। उसे उसकी औकात का पता चल गया है। अलकायदा के भगोड़े कहीं पनाह मिल जाए, इस चिंता में डूबे हुए हैं। वे गनीमत मनाएं कि इस दुनिया में पाकिस्तान जैसा नमक हराम देश भी है जो जिस थाल में खाता है, उसी में छेद कर देता है अन्यथा उन्हें अपने कर्मों की बदौलत दुनिया में कहीं भी सुरक्षित छत नहीं मिलती। देर-सबेर मारा जाना ही अलकायदा से जुड़े लोगों की नियति है। संभव है जो अमेरिका और रूस के हाथों मरने से बच गए हैं, वे भारतीय सैनिकों के हाथों मारे जाएं।

 

आतंकवादियों के खिलाफ सहयोग देने के नाम पर पाकिस्तान ने अमेरिका से भारी- भरकम राशि वसूली और इसी राशि से वह आतंकवादियों का पालता-पोसता रहा है। अलकायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही मारा गया था। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है। वह आतंकवादियों की खेप भेजकर, उनसे हमले करवाकर भारतीय अर्थ व्यवस्था और विधि व्यवस्था को अस्थिर करने का खेल खेलता रहा है। चीन में उस मामले में पाकिस्तान की मदद करता है। बलूचिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट का विरोध होने से अब चीन को भी पाकिस्तानी आतंकियों से डर लग रहा है। इस बावत वह अपने नागरिकों को समय-समय पर सतर्क भी किया करता है। मोदी राज में भारतीय सेना दो बार पाकिस्तान में घुसकर लक्षित हमले कर चुकी है। सच तो यह है कि पाकिस्तान अंदर तक दहला हुआ है। 

 

चीन का पता है कि पाकिस्तान की हरकत से भारत कोई बड़ा कदम उठा सकता है। जब भारतीय सेना डोकलाम ने चीन को चुनौती दे सकती है तो पाकिस्तान किस खेत की मूली है? शायद यही वजह है कि चीन ने भारत-पाक दोनों ही को नसीहत दी है कि वे सीमा पर आत्मसंयम बरतें। शांति बनाए रखें। पाकिस्तान ने पहले तो भारत से किए गए लक्षित हमले की बात स्वीकारी भी थी लेकिन अब वह भारतीय सैनिकों की गोलीबारी में अपने तीन सैनिकों के मारे जाने और एक के घायल होने की बात कह रहा है। यह उसकी अपनी विवशता भी है। पाकिस्तान सरकार को अपने देश में नागरिक आलोचना से बचना है तो लक्षित हमले को नकारने में ही उसकी भलाई है लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना जब भारत के खिलाफ षड़यंत्र करने का एक भी अवसर नहीं छोड़तीं तो विवश होकर भारतीय सेना को उसे मुंहतोड़ जवाब देना होगा। छद्मयुद्ध में महारत प्राप्त पाकिस्तान हरगिज नहीं चाहेगा कि उसे आमने-सामने की जंग में भारत से उलझना पड़े। 

 

भारत बहुत बड़ा देश है। इतना बड़ा कि उसमें दुनिया के कई देश समा जाएं और अपना वजूद तलाशते फिरें। कई मुस्लिम देश तो भारत के राज्यों से भी छोटे हैं। भारत पर राज्य करने का वैदेशिक ताकतों का सपना बहुत पुराना है लेकिन अब भारत में छोटी-छोटी रियासतें नहीं हैं। भारत आज की तिथि में बेहद शक्तिशाली देश है। अब उसकी ओर आंख उठाकर देखना भी किसी के लिए संभव नहीं है। अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन भारत को मिटाने के दावे कर रहे हैं। वे कश्मीर को भारत के हाथ से छीन लेने की बात कह रहे हैं गोया कि यह इतना आसान काम है। मोसुल में अपना सब कुछ गंवाने के बाद, वहां की लड़ाई हारने के बाद अलकायदा को लग रहा है कि वह कश्मीर में अपना ठिकाना बना सकता है। इसके लिए वह भारत से चकमा युद्ध करने की रणनीति बना रहा है। उसके आतंकी भारतीय मुसलमानों को बरगलाने और भड़काने में जुटे हैं। वे उन्हें गुमराह कर रहे हैं कि भारत मुसलमानों को अपने देश से भगाना चाहता है। पता नहीं, इतनी बिना सिर-पैर की बातें आतंकवादियों के और उनके समर्थक देश पाकिस्तान के दिमाग में कैसे आ जाती हैं? दुनिया जानती है कि भारत सर्वधर्म समभाव वाला देश है। भारत में सभी धर्मों के लोग हिल-मिलकर रहते हैं। नदी-नाव संयोग की तरह रहते हैं। उन्हें गुमराह करना इतना आसान नहीं है। 

 

अलकायदा के आतंकवादियों को सोचना होना कि आतंक अहंकार का प्रतिरुप है।अहंकारी की स्थिति उस दांत की तरह होती है जिसका जन्म तो जीभ के बहुत बाद होता है लेकिन मरण जीभ से पहले हो जाता है जबकि जीभ जीव के साथ आती है और जीवन के अंत होने पर शरीर के साथ बनी रहती है। नमनीयता और कठोरता के इस अंतर को समझना तो होगा ही। अहंकार के पांव नहीं होते। अहंकारी खुद को खुदा मान लेता है। अलकायदा विश्व के नक्शे में अपने ठिकाने तलाशने उतरे तो उसे अपने हैसियत की शून्यता का अहसास सहज ही हो जाएगा? भारत को चुनौती देने से पहले उसे अपनी कूव्वत का तो विचार करना ही चाहिए। अरब देशों में अलकायदा का आतंक खत्म हो गया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में वे शरण लिए हुए हैं। अमेरिका पाकिस्तान पर अनवरत अलकायदा और उसके जैसे अन्य आतंकी संगठन जो पाकिस्तान में पल-बढ़ रहे हैं, के सफाये की चेतावनी दी है। ऐसे में अलकायदा को कश्मीर अपने लिए साॅफ्ट टारगेट नजर आ रहा है। भारत ने घोषणा कर रखी है कि वह किसी भी देश पर पहले आक्रमण नहीं करेगा लेकिन अपनी सीमाओं की सुरक्षा अनवरत करता रहेगा। 

 

अल-कायदा के सेकंड-इन-कमांड ओसामा महमूद ने जिहादी फोरम्स पर रिलीज किए गए एक वीडियो में कश्मीर को जीतने के लिए भारतीय शहरों पर जंग छेड़ने की बात कही है। ओसामा ने वीडियो मैसेज में कहा है कि भारत ने कश्मीर को अपने साथ रखने के लिए 6 लाख सैनिकों को तैनात किया है। अगर कोलकाता, बेंगलुरु और नई दिल्ली जैसे बड़े शहरों पर हमला किया गया तब भारत की कश्मीर से पकड़ ढीली होगी। वीडियो में महमूद ने भारत के मुस्लिमों से कश्मीरियों का समर्थन करने की बात कही है। उसने कहा है कि यह बेहद जरूरी है कि भारत में जिहादी मूवमेंट को मजबूती के साथ खड़ा किया जाए और पूरे क्षेत्र के मुस्लिम कश्मीरियों के पीछे खड़े रहें। जिस तरह अमेरिका के लिए अपने आप को सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है, उसी तरह भारतीय सेना और हिंदुओं की शांत दुनिया को भी वॉर जोन बना देना चाहिए। इस बैठक में पाकिस्तान मुजाहिदीन के कश्मीर में होने का ही दावा किया गया है। 

 

मतलब साफ है कि पाकिस्तान परस्त आतंकियों के मंसूबे ठीक नहीं हैं। उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है। देश की अस्मिता खतरे में है। ऐसे में पूरे देश को सतर्क रहने की जरूरत है। आतंकियों के गुर्गे एक वर्ग विशेष में अपनी खास उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं। ऐसे में ऐसे लोगों को पहचानने और उन्हें कालकोठरी में बंद करने की जरूरत है। पाकिस्तानी सेना भारत में सर्दियों से पहले आतंकियों को प्रवेश करा देना चाहती है। इसके लिए वह सेना के गश्ती दलों और सैन्य चैकियों पर गोलीबारी करती रहती है। कहना न होगा कि भारतीय सेना के जवान पाक की इन नापाक हकतों का अपने स्तर पर जवाब भी देते हैं लेकिन अब समय आ गया है जब भारतीय सेना को पाकिस्तान के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को लक्ष्य कर हमले करने चाहिए।

 

फोड़े को पकने से पहले फोड़ देना चतुराई है और शत्रु को जीता छोड़ देना बुराई है। पाकिस्तान के आतंकी भारत पर हमला करें। वे शिखंडी का रोल अदा करें और उनके पीछे से पाकिस्तान भारत पर वार करे, इससे पहले भारत की ओर से उसे मुंहतोड़ जवाब दे दिया जाना चाहिए। इस बार जब तक लाहौर तक कब्जा नहीं होगा तब तक पाकिस्तान मानने वाला नहीं है। दुष्ट दुष्टता की ही भाषा समझता है। जो जैसा है, उसके साथ उसी तरह का व्यवहार होना चाहिए। दुनिया क्या कहेगी, इसकी चिंता किए बगैर भारत को पाकिस्तान को सबक सिखाना तो होगा ही। ‘सौ सुनार की, एक लुहार की’ वाली कहावत को मूर्त रूप प्रदान करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। भारत की ओर कुदृष्टि रखने वालों का मनोबल तोड़ना है तो यह सब करना ही होगा।

-लेखक हिंदुस्थान समाचार से जुड़े हैं। 

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