दस लाख की पटकथा में पेंच: डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
गुजरात में कांग्रेस अपनी रणनीति से गदगद है। उसे लग रहा है की भाजपा दबाब में आ गई है। राहुल गांधी गुजरात की आवाज के विषय में बोलने लगे। मनीष तिवारी भी ईमानदारी की बात करने लगे। चुनाव आयोग पर निशाने लगने शुरू हो गए। कहा गया कि भाजपा चुनाव से भाग रही है। चुनाव टालना चाहती है। नरेंद्र पटेल दस लाख रुपये लेकर मीडिया के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उन्हें खरीदने को यह रकम दी थी। इसके साथ निखिल सावनी का भी ज्ञान जागृत हुआ। कहा भाजपा ने नरेंद्र पटेल को दस लाख दिए। इससे वह आहत हैं। इसलिए भाजपा छोड़ दी। अल्पेश ठाकुर रैली के माध्यम से कांग्रेस में शामिल हुए। इसमें राहुल गांधी भी गुजरात के गौरव पर गरजे। इसके अलावा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस के सम्पर्क में है।
कांग्रेस रहा है कि ये हथकंडे उसे इस बार सत्ता में पहुंचा देंगे। जनता का सीधे विश्वास जीतने की जगह अस्थिर मानसिकता के लोगों पर कांग्रेस को भरोसा है। नरेंद्र पटेल ने मीडिया को दस लाख रुपये की गड्डियां दिखाई। बताया कि यह पेशगी है। भाजपा ने उसे एक करोड़ देने का वादा किया है। इसके पहले उन्हांने भाजपा छोड़ दी। इस कहानी में कई पेंच रह गए। नरेंद्र पटेल सही थे, तो वह कुछ घण्टे और रुक जाते। फिर एक करोड़ रुपये के साथ भाजपा को बेनकाब कर देते, लेकिन इसके पीछे जो चर्चा है वह ज्यादा दिलचस्प है। पहले कांग्रेस के रणनीतिकारों ने एक करोड़ की रकम मीडिया के सामने लाने पर विचार किया था, लेकिन एक करोड़ के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। इसके बाद दस लाख रुपये ही सामने लाया गया। बताया जाता है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह रुपये भाजपा के लोगों ने दिया है। नरेंद्र पटेल ने कहा कि वह समय आने पर प्रमाण देंगे। पता नहीं इसका उपयुक्त समय कब आएगा। वह कह रहे हैं कि वकीलों से विचार करेंगे। दूसरी ओर वह अपने समाज की बात करते है। समाज का भला चाहते तो इन बातों की चिंता क्यो करते हैं।
इसमें गौरतलब यह भी है कि भाजपा को कुछ समय में छोड़ने वालों ने पहले ऐसे आरोप नहीं लगाए थे। तो क्या नरेंद्र पटेल को ही रकम दी गई थी, इस मसले पर कांग्रेस खुद घिरती नजर आ रही है। चर्चा चल रही है कि यह रकम कांग्रेस की है। नरेंद्र पटेल ने जिस नेता पर रकम देने का आरोप लगाया है, उन्होंने कोर्ट जाने का एलान किया है। इससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ेगी। यह रकम उसके गले पड़ेगी, इसकी संभावना अधिक है। कांग्रेस ने जिन्हें रैली के माध्यम से पार्टी में शामिल किया, उनका मसला भी कम दिलचस्प नहीं। बताया जाता है कि वह पहले से ही कांग्रेस के सदस्य हैं। कांग्रेस के टिकट पर पंचायत का चुनाव लड़ चुके हैं। उसमें पराजित हो गए थे, उनके पिता भी कांग्रेस के सक्रिय नेता थे।
कुछ समय पहले राहुल गांधी ने चीन के राजदूत से गुप्त मुलाकात की थी। अहमदाबाद में हार्दिक पटेल से राहुल ने गोपनीय मुलाकात की। इसे छुपाने के प्रयास किया गया। बताया जाता है कि पाटीदार समुदाय कांग्रेस का वीरोधी रहा है। हार्दिक की राहुल से नजदीकी इस समाज को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए मुलाकात को गोपनीय रखा गया। चर्चा यह भी है कि ऐसी मुलाकातों में ही सौदेबाजी की चर्चा है। हार्दिक पटेल भी इसमें शामिल हैं।
(लेखक वरिष्ठ स्तम्भकार हैं। )