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संपादकीय
फीफा विश्व कप: क्या भारत बनेगा फुटबॉल में एशिया का ब्राजील : आर.के.सिन्हा
By Deshwani | Publish Date: 30/9/2017 1:29:26 PM
फीफा विश्व कप: क्या भारत बनेगा फुटबॉल में एशिया का ब्राजील : आर.के.सिन्हा

 संभव है कि देश की युवा पीढ़ी को यकीन न हो कि एक दौर में भारत भी फुटबॉल में विश्व शक्ति था। भारत ने 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में फुटबॉल का गोल्ड मेडल जीता था। उसके बाद भारत को ‘फुटबॉल का ब्राजील’ तक कहा जाने लगा था। उस दौर में चुन्नी गोस्वामी, पी.के.बैनर्जी, जरनैल सिंह, थंगराज जैसे बड़े खिलाड़ी भारत की फुटबॉल टीम का हिस्सा थे। तब भारत के मुख्य कोच होते थे रहीम साहब। बाद के सालों में फुटबॉल में हमारी टीम ताकतवर नहीं रह गई! उसके कई कारण भी गिनवाए जा सकते हैं। अभी उसकी चर्चा करने का उपयुक्त समय नहीं है।

 
भारत के खेल प्रेमियों में अब एक उम्मीद अवश्य पैदा हो रही है कि हम फिर से फुटबॉल के मैदान में ताकत के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहे हैं। दरअसल भारत में फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप चैंपियनशिप आगामी छह से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित हो रहा है। फीफा वर्ल्ड के मैच भारत में छह शहरों नई दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, नवी मुंबई, कोच्चि, गोवा में खेले जाएंगे। फीफा दुनिया की फुटबॉल को नियंत्रित करने वाली सर्वोच्च संस्था है। शायद ही इससे अधिक पारदर्शी और कोई खेल संस्था विश्व में है भी। उसकी तरफ से पहली बार भारत में कोई वर्ल्ड टूर्नामेंट आयोजित किया जा रहा है।
 
खेल गरीब-गुरुबा का
निश्चित रूप से फीफा वर्ल्ड कप से भारत में गरीब-गुरुबा के खेल फुटबॉल को लेकर आम जनता में खासा रुचि बढ़ेगी। युवा भी इस खेल के प्रति आकर्षित होंगे। निर्विवाद रूप से इस चैंपियनशिप से भारत में फुटबॉल का परिदृश्य बदल जायेगा। इससे देश को फुटबॉल की लोकप्रियता बढ़ाने की मुहिम में मदद मिलेगी। अगर भारतीय खिलाड़ी चैंपियनशिप में अच्छे परिणाम हासिल करते हैं तो यह देश और खिलाड़ियों के लिए भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरणादायी साबित होगा। अंडर-17 विश्व कप से देश में फुटबॉल के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। पिछले दो वर्षों में कई नई अकादमीज भी शुरू हो गईं हैं। अच्छी बात यह है कि फीफा अंडर-17 विश्व कप को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल बन चुका है। फुटबॉल के दीवाने राज्यों , जैसे गोवा,केरल, बंगाल, बिहार, मणिपुर वगैरह में तो पर्व वाला माहौल बन चुका है।
 
'कर के दिखला दे गोल'
फीफा अंडर 17 वर्ल्ड कप का
फ़ीफ़ा विश्व टूर्नामेंट का आधिकारिक गीत 'कर के दिखला दे गोल' लॉन्च हो चुका है। गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य ने यह गीत लिखा है, जबकि प्रीतम ने इसकी रचना की है। कई मशहूर संगीतकार जैसे सुनिधि चौहान, नीति मोहन, बाबुल सुप्रियो, शान, पैपोन और मीका ने इसे गाया है। इसमें भारत की जीवंतता और विशिष्टता को दर्शाया गया है जिसमें देश के फुटबॉल स्टार बाईचुंग भूटिया, एन बाला देवी, शान, पैपोन और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं। 
जोश जीत का
भारत की अंडर-17 टीम पूरे जोश और जज्बे के साथ कुछ बड़ा करिश्मा कर दिखाने के मूड में है। ये बेहतरीन प्रदर्शन को बेताब है। हमारे लड़के बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ खेल खेलेंगे। हमारी टीम इस बड़ी चैंपियनशिप में खेलने के लिए जेहनी तौर पर भी तैयार है। लड़कों पर जरूरत से ज्यादा दबाव डालना भी मुनासिब नहीं है। भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम दिन-रात मेहनत कर रही है। भारतीय टीम में चुने गए आठ खिलाड़ी मणिपुर से हैं, जबकि दो खिलाड़ी भारतवंशी हैं। आश्चर्य की बात है कि भारतीय टीम में गोवा से कोई खिलाड़ी नहीं है, जबकि गोवा को भारत की फुटबॉल की जान कहा जाता है। खैर, चयनकर्ताओं ने सर्वश्रेष्ठ टीम ही चुनी होगी। भारत, अमेरिका, कोलंबिया, घाना के साथ ग्रुप 'ए' में है। भारत अपने अभियान की शुरुआत छह अक्टूबर को अमेरिका के खिलाफ करेगा। इसके बाद मेजबान टीम नौ अक्टूबर को कोलंबिया और 12 अक्टूबर को घाना के खिलाफ अपने मुकाबले दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेलेगी।
 
गढ़ फुटबॉल के 
ये सच है कि भारत में क्रिकेट जुनून और धर्म की शकल ले चुका है, पर हमारे यहां फुटबॉल के चाहने वाले भी कम नहीं है। कई राज्यों में फुटबॉल को क्रिकेट से ज्यादा पसंद किया जाता है। इनमें पश्चिम बंगाल,केरल,गोवा और मणिपुर शामिल है। अगर बात पश्चिम बंगाल की करें तो वहां पर मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, मोहम्मडन स्पोर्टिंग समेत अनेक जीवन्त क्लब हैं। फुटबॉल बंगाल की संस्कृति का हिस्सा बन गया है। हर तबके का इंसान फुटबॉल से जुड़ा है। गोवा में कहने को तो फुटबॉल की शुरुआत 1883 में हुई जब आइरिश पादरी फादर विलियम रॉबर्ट लियोंस ने इसे ईसाई शिक्षा का हिस्सा बनाया। फिर, फ़ुटबॉल तो पूरे देश में ही सदियों से खेला जाता रहा है, क्योंकि, यह ग़रीबों का खेल है। एक गेंद 22 खिलाड़ियों को भगा- भगाकर पसीने टपकाती रहती है। आज गोवा भारत में फुटबॉल का केंद्र बन चुका है। यहां कई लोकप्रीय फुटबॉल क्लब हैं जैसे, सलगांवकर, डेंपो, चर्चिल ब्रदर्स, वॉस्को स्पोर्ट्स क्लब और स्पोर्टिंग क्लब डि गोआ आदि गोवा से ही हैं। गोवा के कई खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इनमें ब्रह्मानंद संखवालकर, ब्रूनो कूटिन्हो, मॉरिसिओ अफोंसो, रॉबर्टो फर्नांडिस शामिल हैं। ये सभी भारतीय फुटबॉल टीम के कैप्टन रह चुके हैं।
केरल में फुटबॉल की शुरुआत 1890 में हुई जब महाराजा महाविद्यालय तिरुअनंतपुरम के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर बिशप बोएल ने युवाओं को फुटबॉल खेलने की प्रेरणा दी। 1930 के दशक में राज्य में कई फुटबॉल क्लब बने। केरल ने भी देश को कई सफल और मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी दिए हैं। इसी क्रम में मणिपुर का भी नाम लिया जाएगा। आगामी फीफा वर्ल्ड कप में मणिपुर से आठ खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल हैं। ये इस बात का प्रमाण है कि मणिपुर भारत की फुटबॉल राजधानी के रूप में उभर रहा है। इन राज्यों के अलावा भी फुटबॉल को सारे देश में पसंद किया जाता है।
महानतम भारतवंशी फुटबॉलर
फीफा अंडर 17 वर्ल्ड कप के दिल्ली में होने वाले मैच में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति संभावित हैं। उनके अलावा भारत के चोटी के फुटबॉलर भी फीफा वर्ल्ड के मैचों के दौरान स्टेडियम में भरे रहेंगे। काश, इस दौरान फ्रांस फुटबॉल टीम के सदस्य विकास धुरासू भी रहते तो देश के फुटबॉल प्रेमियों का उत्साह और बढ़ जाता। विकास भारतीय मूल के हैं। उन्हें भारतीय मूल का महानतम फुटबॉलर माना जाता है। विकास के पुरखे मारिशस में करीब 125 साल पहले जाकर बस गए थे। वहां से विकास के माता-पिता फ्रांस में जाकर बसे। शानदार मिड फिल्डर विकास कुछ साल पहले कोलकाता आए थे। वे अब फिल्म प्रोड्क्शन के बिजनेस से भी जुड़ गए हैं। वे कोलकाता में अपने मित्रों बाइचुंग भुटिया और रेंडी सिंह से मिले थे। विकास धुरासु ने एक बार कहा था कि वे भारतीय डिशेज और संगीत को खाकर और सुनकर ही बड़े हुए हैं। इसलिए भारत के प्रति उनका लगाव तो सदैव रहेगा ही।
विकास धुरासू ने दो बार वर्ल्ड फुटबॉल चैंपियनशिप में फ्रांस की नुमाइंदगी की है। वे कुछ साल पहले जब भारत आए तो उन्होंने कहा था कि भारत को अपने उदीयमान खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए फ्रांस भेजना चाहिए क्योंकि वहां पर ट्रेनिंग की सुविधाएं आला दर्जे की हैं। विकास धुरासू एसी मिलान की तरफ से भी खेलते रहे हैं। विकास धुरासू का शिखर स्तर का फुटबॉल खेलना इस बात का प्रमाण है कि भारतीय भी बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी हो सकते हैं। वे खुद इस बात को कहते भी हैं।
अगर फीफा वर्ल्ड कप में भारतीय खिलाड़ी उल्लेखनीय प्रदर्शन करने में सफल रहे तो मान कर चलिए भारत में फिर से फुटबॉल का क्रेज बड़े स्तर पर पैदा हो जाएगा। फिर भारत से भी पेले तथा माराडोना जैसे बड़े खिलाड़ी निकलेंगे। भारत में पिछले कुछ दशकों के दौरान श्याम थापा,आई.एम. विजयन, इंदर सिंह,परमिंदर सिंह, बाईचुंग भुटिया जैसे दर्जनों असरदार और विख्यात खिलाड़ी अपने जौहर दिखाते रहे। ये भी सच है कि बीते कुछेक सालों के दौरान हमारे यहां पर महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, जेसीटी, मफतलाल जैसी टीमें इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं क्योंकि इन्हें चलाने वाली कंपनियों ने इन्हें बंद कर दिया। यानी फुटबॉल को लेकर कुछ बुरी खबरें भी आती रहीं। फिर भी फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन एक उम्मीद तो पैदा कर ही रहा है। कहीं न कहीं लग रहा है कि हम सिर्फ सफल मेजबान के रूप में ही नहीं उभरेंगे। हमारी टीम अपने दमखम से फुटबॉल की दुनिया में अपने लिए एक सम्मानजनक स्थान बना लेगी। जैसा कि पहले बताया गया कि भारत फुटबॉल में सदियों से ताकत था। वर्ष 1950 में भारत ने ब्राजील में खेले जा रहे फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालिफाई तो किया था, लेकिन उसने खेलने के लिए मना कर दिया था। इसका एक कारण यह भी बताया गया था कि टूर्नामेंट खेलने के लिए फुटबॉल बूट पहनने पड़ते, जबकि भारतीय खिलाड़ियों को नंगे पांव खेलने की आदत थी। तब से दुनिया के दूसरे देशों के साथ भारत भी बहुत बदल चुका है। अब भारत फीफा वर्ल्ड कप में अपनी ताकत दिखाने के लिए बेताब है।
(लेखक राज्य सभा सदस्य व बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष हैं)
 
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