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संपादकीय
मध्य प्रदेश के मालवा में सुभाष बोस के साथी ने ली थी पनाह : कैलाश सनोलिया
By Deshwani | Publish Date: 14/8/2017 3:38:03 PM
मध्य प्रदेश के मालवा में सुभाष बोस के साथी ने ली थी पनाह : कैलाश सनोलिया

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्वाधीनता आंदोलन का बड़ा महत्व रहा है। देश के कई ख्यात क्रांतिकारियों ने नागदा जिला उज्जैन में स्थित एक जगह पर्णकुटी में शरण ली थी। यह पर्णकुटी राष्ट्रकवि, गांधीमानस महाकाव्य रचयिता नटवर लाल स्नेही तथा राजस्थान की प्रथम महिला विधायक यशोदा बहन का उस जमाने में निवास था। पर्णकुटी में चालीस के दशक से लेकर आजादी तक आंदोलनकारियों ने छिपकर पनाह ली थी। नागदा उस जमाने में क्रांतिकारियों के लिए इसलिए छिपने का उपयुक्त स्थान था कि यह मुंबई एवं दिल्ली रेलवे लाइन पर बसा था। आसानी से रेलगाडिय़ों के माध्यम से देशभक्त लोग यहां छिपते थे। यह स्थान आज भी उन क्रांतिकारियों की गतिविधि का साक्षी है। सेनानी हरिप्रसाद शर्मा, कवि स्नेही एवं यशोदा बहन के परिवार के लोग आज भी इस स्थान पर निवास करते हैं। पर्णकुटी में ऐसे क्रांतिकारियों ने आजादी के आंदोलन के दौरान फरारी काटी थी, जिन पर उस समय अंग्रेजी हुकूमत ने पांच हजार तक के इनाम घोषित कर रखे थे। सुभाष चंद बोस के साथी बटुकेश्वरदत यहां दो माह तक छिपे थे। इसी प्रकार से बटुकेश्वर दत के एक शिष्य हरिलाल झांसी ने भी शरण ली थी। इस पर्णकुटी में समीप के प्रांत राजस्थान एवं गुुजरात से भी बड़ी संख्या में देशभक्तों ने पनाह ली थी। मप्र के क्रातिकारियों की गुप्त मंत्रणा का यह प्रमुख स्थान रहा है। देश के कई आंदोलनकारियों की गतिविधियों का केंद्र रहा है। पर्णकुटी में पूर्व सांसद , सेनानी एवं समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मामा बालेश्वर दयाल, उस जमाने के ख्यात पत्रकार, पूर्व सांसद, एवं मप्र स्वाधीनता सेनानी संघ के अध्यक्ष कन्हैयालाल वैध, मध्यभारत के प्रथम मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी, मध्यभारत के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय, सेनानी तख्त मल जैन, कन्हैयालाल खादीवाला, राजस्थान के सेनानी हरिभाउ उपाध्याय, मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू, गांधीवादी विचारक रामचंद्र नवाल जैसे लोगोंं के कदम भी आंदोलन के दौरान पर्णकुटी में पड़े हैं।
आंदोलन कार्य के लिए अंधेरे की कालिमा के साथ क्रांतिकारियों का जमावड़ा शुरू होता था। पर्णकुटी में प्रवेश के लिए विशेष संकेत एवं कोड दिए गए थे, जिनके आधार पर अंदर आने की मंजूरी मिलती थी। मध्यरात्रि में क्रंातिकारी लोग इस पर्णकुटी में गुप्त मंत्रणा करते थे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रचार सामग्री भी यहां पर रात भर तैयार होती थी। हाथों से लिखकर उसे मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान एवं गुजरात में भेजा जाता था। चौराहे पर रात में चस्पा कर दिया जाता था। यहां से जानकारियों का प्रचार मप्र में तो होता। साथ ही समीप के प्रांत राजस्थान एवं गुजरात में भी होता था। पर्णकुटी में रातभर भोजन का सिलसिला चलता था। पर्णकुटी के दरवाजे पर पुलिस की दस्तक भी रोज होती थी। पुलिस उन लोगों के नाम के बारे में पूछती थी जो यहां ठहरे रहते थे। लेकिन उन क्रांतिकारियों के नाम नहीं बताए जाते थे जिन पर फरारी के वारंट हुआ करते थे। इस दौरान इस पर्णकुटी के मालिक कवि स्नेही ने अपनी कविताओं के माध्यम से देश में अलख जगाया था। इस दौरान कवि की एक काव्यकृति अंतर्ज्वाला जप्त हुई थी। पर्णकुटी से जुड़ी गौरवगाथा के कई साक्ष्य आज भी सेनानी नटवरलाल स्नेही के परिजन अखिलेश शर्मा, अनिल शर्मा के पास उपलब्ध हैं। 
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