दुमका
सावन माह में हरी चूड़ियां रखती सुहागनों के लिए विशेष महत्व
By Deshwani | Publish Date: 31/7/2017 11:16:30 AMदुमका, (हि.स.)। सावन का महीना जिस पर न जाने कितनी गाने, कविताएं, कहानी लिखे गए हैं। प्रकृति, प्रेम, आस्था से जुड़े इस माह को भारतीय संस्कृति, परंपरा और हिंदू धर्म से जोड़ा गया है। सावन के महीना आते ही रिमझिम फुहारों के बीच हरी चूड़ियों कि बिक्री बढ़ जाती है।
श्रावणी मेला के दौरान बासुकिनाथ धाम में भी हरी चूड़ियों की खूब बिक्री होती है। खासकर सावन में इस रंग की मांग बढ़ जाती है। इन दिनों हरी चुड़ियों की कीमत में भी वृद्धि हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भोले बाबा को रिझाने के लिए हरे रंग की चूड़ियां पहनी थी। तब से सावन के महीने में महिलाएं हरे रंग का चूड़ी पहनती हैं, ताकि पति-पत्नि में प्यार सात जन्मों तक रहे और यही वजह है कि आज भी सभी उम्र की सुहागन महिलाएं सावन मास के दौरान हरी चूड़िया पहनती हैं।
हरी चूड़ियां पहनने अपनी पौराणिक मान्यताएं हैं। दरअसल सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है और शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रुप माना गया है। इस मौसम में बरसात की बून्द से प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलाएं हरे रंग का वस्त्र और हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं। सावन के महीने में जिस पर भी एकबार हरा रंग चढ़ जाता है। उसकी जिंदगी जन्म-जन्म तक हरा-भरा रहता है।