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बच्चों को पढ़ाई के साथ देश भक्ति का पाठ पढाएं : राज्यपाल
By Deshwani | Publish Date: 30/6/2017 8:33:30 PM
बच्चों को पढ़ाई के साथ देश भक्ति का पाठ पढाएं : राज्यपाल

दुमका, (हि. स)। बच्चो को पढ़ाई के साथ देश प्रेम एवं देश भक्ति का पाठ अवश्य पढाना चाहिए। तभी हुल के महानायक शहीद वीर सिदो कान्हू सहित हजारो स्वंत्रता सेनानियों के सपने को साकार किया जा ससकता है।

यह बात शुक्रवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में आजोजित हुल दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रोपदी मुर्मू ने कहीं।उन्होंने खास तौर पर कुलपति डॉ मनोरंजन सिन्हा को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में एक वर्ग एवं एक लेक्चर देश प्रेम से होना आवश्यक है।उन्होंने ने पैकेज के नाम पर विदेशो में भारतीय वैज्ञानिक, डॉक्टर एवं इंजीनियर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे युवाओ को देश मे रहकर देश प्रेम के बारे में सोचना चाहिए। नौकरी नही मिलने पर डीप्रेशन के शिकार बच्चो से अपील करते हुए कहा कि नौकरी ही रोजगार का एकमात्र साधन नही है।नौकरी नही मिलने से जिंदगी खत्म नही हो जाती है। अन्य साधनों से रोजगार मुहैया हो सकता है।उन्होंने बच्चों से अपील करते हुए कहा कि देश आपका इंतजार कर रहा है।आप देश की भविष्य हो।इस अवसर पर समाज कल्याण मंत्री डॉ लूईस मरांडी ने कहा कि हुल नायक को जो इतिहास में जगह मिलनी चाहिए थी, वह नही मिली है।हुल के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि गांव-गांव में हुल मनाया जाना हुल एवं हुल नायको के प्रति श्रद्धा का पता चलता है।ऐसे आयोजन से हुल के नायको की कृति एवं गाथा देश और दुनिया को बताने में सहायक होगी।आवश्यकता है हुल के मूल्यों को समझने का।वर्तमान समय मे हुल को अक्षुण्य बनाये रखने का।सरकार के कार्यो को ग्रास रूट तक पहुचाने का है।इस जिम्मेदारी में सभी को भाग लेने की आवश्यकता है।उन्होंने सरकार की उपलब्धि बताते हुए कहा कि शिक्षा गारंटी ऋण योजना के तहत पायलट के प्रशिक्षण को लेकर 31 लाख रुपये लोन देने की बात कही। वही रोजगारपरक शिक्षा के दिशा के लिए कल्याण विभाग द्वारा एवं हायर एजुकेशन के तहद स्कील डेवलपमेंट प्रशिक्षण देने की बात कही।
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य हर खेत को पानी, हर को रोजगार,रोटी, कपड़ा और मकान मुहैया करवाना लक्ष्य है।उन्होंने समता मुलक समाज के निर्माण एवं विश्वविद्यालय को हर संभव सहयोग देने की अपील की।दुमका। हुल नही होता तो, विश्वविद्यालय नही होती।विश्वविद्यालय महान विभूतियों सिदो कान्हू सहित संताल परगना के अन्य वीर शाहिद सपूत की ही देन है। हुल की वजह से ही महापुरुषों को याद करते है और याद करते रहेंगे।कुलाधिपति का आने से साबित हो रहा है कि हुल हमसे जुड़े है, हमसे हुल जुड़ा है।साथ ही कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़ा है।आभावो को गिना जाये तो कमियां ही कमियां है, लेकिन हृदय में कमियां नही है।उन्होंने समाज कल्याण मंत्री डॉ लूईस मरांडी से उम्मीद जताते हुए कहा कि चिड़िया चाहे जितनी उड़ान भर ले, लेकिन लौटना घोसला में ही होती है।कहा कि मंत्री महोदया के विश्वविद्यालय परिसर में आने की तलाश हमेशा रहती है।आज वह भी मंच पर विराजमान है।उन्होंने ने विशेष कृप्या बनाये रखने का आग्रह करते हुए संसाधनों की कमी जरूर है, लेकिन प्यार की कमी नही है और नही होगा।राम और सेबरी का उदाहरण देते हुए कहा कि बैर मीठे थे या खट्टे। यह तो सिर्फ राम या सेबरी ही बता सकते है।बैर खाना तो बहाना मात्र था।मुख्य बात तो भावनाओं का कदर करने की।इस अवसर पर अतिथियों ने मच पर चांसलर ट्रॉफी बैडमिंटन टूर्नामेंट पुरुष वर्ग एकल विजेयता सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के रानू राणा एवं रांची विश्वविद्यालय, रांची के महिला खिलाड़ी शबनम नाज को मैडल देकर सम्मानित किया।अतिथियों ने हुल दिवस विशेषांक स्वतंत्र, शिक्षा एवं समग्रता पर लिखी स्मारिका का विमोचन किया। कार्यक्रम प्रारंभ राष्ट्रगान, विश्वविद्यालय कुलगीत से प्रारंभ हुआ। मंच पर विराजमान विकास भारती संस्था संचालक सह समाजसेवी पदमश्री पुरुस्कार से सम्मानित अशोक भगत, पूर्व प्रतिकुलपति डॉ प्रमोदिनी हांसदा विराजमान रहे।कार्यक्रम में मंच संचालन विश्वविद्यालय सांस्कृतिक निदेशक डॉ अंजुला मुर्मू ने की।धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रमोदिनी हासदा ने की।कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व कुलाधिपति ने परिसर पहुच सिदो कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण की। इससे पहले शहीद टीला स्मारक, गार्ड पोस्ट, सेंट्रल लाइब्रेरी, प्रशासनिक भवन का शिलान्यास विश्वविद्यालय दिग्घी परिसर में कुलाधिपति ने की। वहीं गोड्डा महिला कॉलेज, सुगबथान का उद्धघाटन किया। कुलाधिपति के सम्मान में विभिन्न कॉलेज के छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर समा बांध दिया।
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