मैथिली को केविवि सहित सभी संस्थानों के पाठ्यक्रम में शामिल करने को केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर से मिले
दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर।
राज्यसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मश्री डॉ सीपी ठाकुर के नेतृत्व में बुधवार को दरभंगा विद्यापति सेवा संस्थान का एक प्रतिनिधि मंडल केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल अपनी 7 सूत्री मांगों के लिए केन्द्रीय मंत्री से मिले हैं।
सात सूत्री मांगों में प्रमुख रूप से सीबीएसई की 12 वीं तक की कक्षाओं के पाठ्यक्रम में मैथिली विषय को शामिल किया जाना, प्राथमिक स्तर के स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक मैथिली विषय के अध्यापन की शुरुआत, जेएनयू सहित सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मैथिली विषय के साथ पढ़ाई की व्यवस्था आदि शामिल है।
बताया गया है कि केन्द्रीय मंत्री ने उनकी मांगों पर विचार करने की अपनी सहमति दी है। दूसरी तरफ दरभंगा आने का न्योता भी स्वीकार किया है।
प्रतिनिधिमंडल में डॉ सीपी ठाकुर के साथ शामिल विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात बाद दूरभाष पर बताया कि प्रतिनिधिमंडल की केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ अत्यंत सौहार्द पूर्ण वातावरण में वार्ता हुई और उन्होंने सभी मांगों को जायज ठहराते हुए भरोसा दिलाया कि निकट भविष्य में ही इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान पद्मश्री सीपी ठाकुर द्वारा प्रस्तुत तर्क से केंद्रीय मंत्री साफतौर पर सहमत दिखे। अष्टम अनुसूची में शामिल इस भाषा को लेकर आईएएस तो बन रहे हैं। जबकि प्राथमिक स्तर पर यह विषय पढ़ाई की बुनियादी व्यवस्था से सर्वथा वंचित है। डॉ बैजू ने बताया कि मुलाकात के दौरान डॉ सीपी ठाकुर ने समस्त मिथिलावासी की ओर से मिथिला की परंपरा अनुरूप पाग व चादर से केंद्रीय मंत्री को सम्मानित करते हुए उन्हें दरभंगा आने का न्योता दिया। जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने जनवरी में दरभंगा आने का आश्वासन दिया।
ज्ञातव्य हो कि विगत दिनों महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान में आयोजित डॉ सीपी ठाकुर के नागरिक अभिनंदन समारोह में मैथिली सेवी मणिकांत झा व महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा की ओर से प्राथमिक शिक्षा में मैथिली की पढ़ाई शुरू किए जाने की मांग उठाई गई थी और डॉ सीपी ठाकुर ने मौके पर ही उन्हें भरोसा दिलाया था कि मिथिला मैथिली की सेवा के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।