दरभंगा। मो अब्दुल कलाम।
प्रजातांत्रिक व्यवस्था विश्व की सर्वोत्तम शासन पद्धति मानी गयी है। पर भ्रष्टाचार रूपी छुआछूत की बीमारी इसे निगलने को आतुर है। सिर्फ पैसों के लेनदेन को ही भ्रष्टाचार की संज्ञा नहीं दी गयी है। भ्रष्टाचार का सीधा अर्थ है- वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। वस्तुतः भ्रष्ट लोगों को राज्य में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए। क्योंकि भ्रष्टाचार ऐसा घुन है जो पूरी व्यवस्था को खा जाता है। उपरोक्त बातें डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन एवं लनामिवि के पीजी स्नातकोत्तर राजनीतिक शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में डांस हॉल में आयोजित ‘लोकतंत्र, लोकसेवक और भ्रष्टाचार’ विषयक सेमिनार में विषय प्रवेश कराते हुए प्रख्यात राजनीतिक चिंतक डॉ जितेन्द्र नारायण ने कही।
डॉ नारायण ने बताया कि आचार्य चाणक्य ने स्पष्ट कहा है कि भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
सेमिनार के मुख्य अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ सीपी सिंह ने कहा कि विकास होगा तो भ्रष्टाचार होगा, यह समस्या विश्व के हर देश में विद्यमान है। परंतु भारत में यह कुछ अधिक है। इसीलिए यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व आयुक्त प्राण मोहन ठाकुर ने कहा कि समाज का नैतिक मापदंड पूर्णतः ध्वस्त हो चुका है। हर व्यक्ति स्वार्थ लिप्त होकर अपनी उन्नति का मार्ग ढूंढ़ने में लगा हुआ है। लोकसेवक अपने मन से एक भी योजना की स्वीकृति नहीं दे सकते है। अधिकारियों की भूमिका बदल गई है। क्लेक्टर का कार्य सांसद महोदय कर रहे है, तो एसडीओ का कार्य विधायक देख रहे हैं।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ रविन्द्र कुमार चौधरी, अंग्रेजी विभागाध्यक्षा डॉ अरूणिमा सिन्हा, डॉ पुनिता झा, डॉ प्रतिभा गुप्ता, हिंदी विभाग के उमेश शर्मा, शोधार्थी सुशील कुमार सुमन, सुनीता कुमारी, सोनी झा, मिथिलेश पासवान, श्याम कुमार, रामबाबू चैपाल, फाउण्डेशन के अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, नवीन झा आदि उपस्थित थे। सेमिनार का संचालन फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने किया।