लापरवाही से हुई मौतों पर डीएमसीएच में परिजन ने किया जमकर हंगामा, स्वास्थ्यमंत्री के आश्वासन के बाद हटा जाम
दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर। देशवाणी।
दरभंगा डीएमसीएच मेडिसीन वार्ड में मरीज की मौत को लेकर परिजनों के द्वारा शनिवार के सवेरे में जमकर हंगामा किया। अशोक पेपर मिल थाना के सिरनियां गांव निवासी फूल महम्मद और मौलागंज के एक शिशु की इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद लोग आक्रोशित हो गये थे। अस्पताल प्रशासन एवं चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजन ने हंगामा खड़ा कर दिया। वार्ड के सामने सड़क को लगभग ढ़ाई घंटे तक जाम कर दिया। प्रदर्शन में शामिल परिजन अस्पताल प्रशासन एवं चिकित्सकों के विरुद्ध नारेबाजी करते रहे।
पुलिस प्रशासन के आने के बाद भी आक्रोशित लोग सड़क जाम से हटने का नाम नहीं ले रहे थे। फोन पर स्वस्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद परिजन ने जाम हटाया।
जब इसकी सूचना बेंता ओपी प्रभारी आशुतोष कुमार को लगी तो वे पूरे दल बल के साथ पहुँच पहुंच गये। ओपी प्रभारी मरीज के परिजनों को समझाने तथा सड़क जाम को हटाने की कोशिश करने लगे। परन्तु आक्रोशित मरीज के परिजन एक भी नहीं सुनी। जब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री से फोन पर परिजनों की बात हुई तो वे जांच एवं कारवाई के आश्वासन दिया। तब मरीज के परिजनों के द्वारा सड़क जाम को हटवाया गया।
इधर परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की लापरवाही की वजह से मरीज की हमेशा मौत हो रही है। बताया जाता है कि अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के सिरनियाँ गांव निवासी स्वर्गीय मोहम्मद सफी रहमान के पुत्र फूल मोहम्मद को सांस लेने में तकलीफ थी। इसको लेकर फूल महम्मद को डीएमसीएच के मेडिसीन विभाग में भर्ती कराया गया था। परिजन का कहना है कि शुक्रवार की रात जब उसकी ज्यादा तबीयत बिगड़ने लगी। उनके परिजनों ने कई बार डॉक्टर और नर्स को मरीज को देखने को कहा। लेकिन कोई डॉक्टर और न-ही नर्स ने ही ध्यान दिया।
इधर बाजार समिति मौलागंज मुहल्ला निवासी लड्डू दास की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि उसकी नवजात शिशु की हालत बिगड़ गयी। जिससे गौनिक वार्ड से लाकर बच्चा वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सक की लापरवाही से मौत हो गयी।
वहीं बहादुरपुर थाना के बसतवारा गांव निवासी अफरोज ने बताया कि उसकी 17 वर्षीय फरजाना खातून को ईलाज के लिए 19 नवंबर को मेडिसीन विभाग में भर्ती कराया गया। जहां बार-बार बेहोश हो जाती है। परन्तु न-तो चिकित्सक, न-ही नर्स देखने के लिए आती है। जबकि रौशन झा के परिजनों ने बताया कि खून लेने के बाद अभी तक खून नहीं चढ़ाया गया। वहीं समस्तीपुर जिले के किशनगंज गांव निवासी सुदामा देवी ने बतायी कि ऑपरेशन के लिए गैनिक वार्ड में भर्ती कराया जहाँ ऑपरेशन भी हुआ पर सारा जांच बाहर से ही कराना पड़ा।
हंगामें के बाद भी नहीं आये अस्पताल अधीक्षक-
अस्पताल अधीक्षक को जानकारी मिलने के बाद भी वे नहीं आये। आक्रोशित लोग अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे। परंतु अस्पताल अधीक्षक समस्याओं की सुधि लेने तक नही आये। सिर्फ पुलिस को भेज कर मामले को घर बैठे ही शांत करने की कोशिश में लगे रहे।
जब मरीज सड़क जाम कर रहे थे तो अस्पताल प्रशासन को सूचना मिली तो इसपर अस्पताल उपाधीक्षक ने फोन कर अपने एक कर्मी को कहा कि गरीब गुरबा है। उसे समझा बुझाकर सड़क जाम हटवाओ। परन्तु अस्पताल उपाधीक्षक मरीज की समस्याओं को नजर अंदाज करते हुए सुधि तक लेने नहीं आये।
डॉक्टर एवं नर्स का सारा चैम्बर बंद पड़ा मिला-
डीएमसीएच में जब मरीज के परिजनों के द्वारा चिकित्सक एवं अस्पताल प्रशासन के विरूद्ध हंगामा की जा रही थी। करीब ढ़ाई घंटे तक सड़क जाम की गई थी। इस दौरान अस्पताल में न ही कोई नर्स दिखी और न ही चिकित्सक। बल्कि सारा चैम्बर 9:30 बजे सुबह तक बंद नजर आये।