लनामिविवि दरभंगा में तरंग में शामिल होने आए राज्यपाल ने कहा- समाज को भ्रष्टाचार मुक्त करने में हमारे युवा सक्षम
दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर। देशवाणी।
देश को युवा शक्ति पर नाज है। आज नई ऊर्जा के साथ देश आगे बढ़ रहा है। पूरा विश्व भारतीय नेतृत्व की ओर आशा की नजरों से देख रहा है। इंग्लैंड को पीछे छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था ने विश्व में चौथा स्थान बना लिया है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नागेन्द्र झा स्टेडियम में राज्य स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव “तरंग’ के उद्घाटन के अवसर पर बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने कही।
समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बना सकते देश के युवा- राजयपाल
उन्होंने कहा कि मंगल जैसे ग्रह को भी भारत ने स्वदेशी यान से अपनी परिधि में समेट लिया है। उन्होंने युवाओं से अपनी कल्पनाओं को साकार करने की अपील करते हुए कहा कि हमारे युवा अपनी शक्ति को युक्ति से परिवर्तित कर अपनी सफलता को एक आकार देकर अभाव, अराजकता व वैमनस्यता से परिपूर्ण समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बना सकते हैं। युवाओं को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।
कुलाधिपति ने तरंग में भाग लेने वाले सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों को शुभकामना देते दी। कहा कि कुलपतियों के साथ अपनी पहली बैठक में ही सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर चर्चा की थी। तरंग में कुल 27 स्पर्धाओं को शामिल किए जाने पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रतिस्पर्धाओं में शामिल होने वाले प्रतिभागी अपने-अपने क्षेत्र की कलाओं की विशेषताओं को एक दूसरे से साझा करें। इससे विविधता में एकता की भारतीय परंपरा को साकार करने में सक्षम होंगे।
इस अवसर पर प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह, भारतीय विश्वविद्यालय संघ के संयुक्त सचिव सैमसन डेविड समेत कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रतिकुलपति, डीएसडब्ल्यू आदि मौजूद रहे। मिथिला विवि के कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह व प्रतिकुलपति प्रो जयगोपाल ने मिथिला की परंपरा के अनुसार अतिथियों का स्वागत किया। तरंग में कुल बारह विश्वविद्यालय की टीम भाग ले रही हैं।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने अपने स्वागत भाषण ने कहा कि मिथिला की संस्कृति और विरासत काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि यहां आकर ऐसा लगता है कि हमारी सांस्कृतिक विधा का पुनर्जन्म हो रहा है। हम चाहे जितने शक्तिशाली हो जाएं, समृद्ध हो जाएं लेकिन दुनिया में हमारी पहचान, बिहार के इतिहास, शिक्षा पद्धति व यहां की सांस्कृतिक विरासत से है। भारतीय संस्कृति आज भी यहां खंडहर के रूप में ही सही, मौजूद है। यहां जन्म लेने वाले लोगों को इसका गर्व होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मिथिला के मनीषियों व विदुषियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म के जगत में सिद्धांतों को लेकर जब-जब कोई उलझन खड़ी हुई, विवाद उत्पन्न हुआ, व्यावहारिक संशय की स्थिति बनी तो पूरे राष्ट्र की नजरें मिथिला की ओर उठीं तो इसने कभी निराश नहीं किया।
इस अवसर पर सैमसंग डेविड ने कहा कि मिथिला पेंटिंग के माध्यम से यहां के कलाकारों ने भारतीय कला को नया आयाम दिया है। आज यह कला विश्व स्तर पर अपनी कीर्ति पताका फहरा रही है। सिक्की कला को यहां के कल्पनाशील कलाकारों ने अभिनय ऊंचाई दी है। मूर्ति कला के अनेक कलाकार विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। ध्रुपद शैली के गायन-वादन के लिए यहां का अमता घराना विष्व विख्यात है। उन्होंने कहा कि सूबे के विष्वविद्यालयों में अपने सपने को साकार करने के लिए साधनारत युवा पीढ़ी के अंदर छिपी साहित्यिक, सांस्कृतिक व कलागत संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए समुचित मंच उपलब्ध कराना ही तरंग का मुख्य उद्देश्य है।