दरभंगा
डीएमसीएच में मरीजों के मिलने वाला भोजन बनता है गदंगी के अंबार के बीच, आते-जाते हैं जावर भी
By Deshwani | Publish Date: 15/9/2018 9:27:43 PMपथ्य शाखा का निरीक्षण करते अस्पताल अधीक्षक। फोटो- देशवाणी।
दरभंगा- देवेन्द्र कुमार ठाकुर।
दरभंगा मेडिकल कॉलेज कहने को तो उत्तर बिहार का इकलौता ऐसा मेडिकल कॉलेज है जहां आसपास के लोग ही नहीं नेपाल से भी मरीज इलाज कराने यहां पहुंचते हैं। 24 वार्ड और 2 हजार से भी ज्यादा मरीज यहां इलाज करा रहे हैं। इनके खाने का प्रबंध अस्पताल प्रशासन की तरफ से किया जाता है। जिस पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। कहने को तो अस्पताल प्रशासन खाने में पूरी गुणवत्ता रखने की बात करता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खाना बनाने के लिए जो किचन सेड बनाए गए हैं, वहा गंदगी का अबांर लगा हुआ है। जिसमें आसपास के जानवर आसानी से विचरण करते हैं।
वही मरीजों को दिए जाने वाले सामग्री में भी गुणवत्ता नहीं है। हद तो तब हो जाती है जब 2 हजार मरीजों खाना बनाने से लेकर उसे वार्डा तक पहुंचाने के लिए सिर्फ 12 कर्मी कार्यरत हैं। जिसमें से दो स्वीपर की नौकरी करते हैं। उन्हें भी खाना बांटने के लिए लगाया जाता है। वहीं कर्मचारियों की माने तो उन्होंने स्वीकार किया कि अस्पताल में तैनात डाइटीशियन नये अधीक्षक के कड़ाई करने के बाद आ रहे हैं।
शनिवार को डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरआर प्रसाद और डिप्टी सुपरिटेंडेंट बालेश्वर प्रसाद ने किचन सेड का औचक निरीक्षण किया जहां कई खामियां पायी। उन्होंने साफ सफाई का पूरा ध्यान दिए जाने का आदेश दिया है। वहीं उन्होंने कहां है कि कर्मचारियों की कमी नहीं होने दी जाएगी। फिलहाल जब अस्पताल अधीक्षक से मरीजों के मिलने वाले मीनू के बारे में पूछा गया। तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। न हीं किचन शेड में काम करने वाले कर्मचारियों को ही दी जाने वाली मीनू का कुछ पता था।
अस्पताल अधीक्षक ने भी इस बात को माना कि सब्जी में मीनू का ख्याल नहीं रखा जाता है। आगे से उनका पूरा ध्यान मरीजों को मिलने वाले भोजन पर रहेगा। जब अस्पताल अधीक्षक से बात हो रही थी इसी बीच मीनू के नाम पर पूर्व प्रभारी अधीक्षक वर्तमान में डिप्टी सुपरिटेंडेंट काफी खफा हो गए। ज्ञात हो कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज में मरीजों के खुद खाना बनाने के लिए एनजीओ के साथ मिलकर एक किचन सेड का निर्माण किया गया था। जहां एक निर्धारित रकम देकर मरीज के परिजन गैस चूल्हा का इस्तेमाल करते थे। वह वर्षों से बंद है जिसके बाद से अस्पताल द्वारा मिलने वाले भोजन पर ही गरीब मरीज आश्रित है। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक आरआर प्रसाद ने बताया कि जल्द ही मरीजों के परिजनों के लिए किचन सेड को खोला जाएगा। जहां मरीज के परिजन कम पैसे में गैस का उपयोग कर सकेंगे। फिलहाल डीएमसीएच में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर मरीजों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं बनी हुई है।