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दरभंगा
लोक अदालत से न्यायालय का बोझ कम होता है- अरुणेन्द्र
By Deshwani | Publish Date: 8/9/2018 9:23:54 PM
लोक अदालत से न्यायालय का बोझ कम होता है- अरुणेन्द्र

दीप प्रज्वलित कर लोक अदालत का उद्घाटन करते जिला जज व अन्य। फोटो-देशवाणी।

 
दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर।

 लोक अदालत के माध्यम से पक्षकार अपने मामले का सुलभ निष्पादन करा न्यायालय के बोझ को कम करें। शनिवार को आयोजित लोक अदालत कार्यक्रम को सबोधित करते हुए जिला जज अरुणेन्द्र सिंह ने कहा। उन्होंने लोगो से लोक अदालत से लाभ लेने की बात कही।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पदाधिकारी चंद्र शेखर सिंह ने कहा कि आपसी समझौता के आधार पर मामलों का निष्पादन करने का उचित माध्यम लोक अदालत है। लोक अदालत में पक्षकारों के बीच हार जीत की भावना नहीं रहती है। दरभंगा व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में नेशनल लोक अदालत का शुभारम्भ प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरुणेंद्र सिंह तथा प्राधिकार के उपाध्यक्ष सह जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रजवल्लित कर किया। कार्यक्रम का संचालन प्राधिकार के सचिव आशुतोष खेतान ने किया।
लोक अदालत में कुल 396 मामले का निष्पादन पक्षकारों के बीच आपसी सहमति के आधार पर कराया गया। आपराधिक मामले से संबंधित 86 मामले का निष्पादन कराया गया। दीवानी मामले से संबंधित 6 मामला, परिवार अदालत से जुड़ी 2 मामले का निष्पादन कराया गया। बैंक से संबंधित 288 मामले में एक करोड़ 68 लाख 63 हजार 692 रुपये का समझौता हुआ। दावा वाद से संबंधित 6 मामले में 26 लाख 4 हजार का समझौता हुआ, बी एस एन एल से संबंधित 4 मामले में 25 हजार 600 का समझौता, बिजली से संबंधित 4 मामले में 20 हजार रुपये का समझौता पक्षकारों के आपसी सहमति के आधार पर हुआ। मामलों के निष्पादन के लिए पंद्रह बेंच गठित की गई थी। पीठासीन पदाधिकारी के रूप में एक न्यायिक पदाधिकारी तथा एक अधिवक्ता को शामिल किया गया था। परिवार अदालत के प्रधान न्यायाधीश बेनी माधव पांडेय, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजित कुमार सिन्हा, चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ब्रजेश कुमार मालवीय, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सम्पत कुमार, अवर न्यायाधीश अनायत करीम, अवर न्यायाधीश आशुतोष खेतान, अवर न्यायाधीश राजेश कुमार द्विवेदी, अवर न्यायाधीश राज कुमार चौधरी, अवर न्यायाधीश अजय कुमार, अवर न्यायाधीश अक्षय कुमार सिंह, अवर न्यायाधीश जावेद आलम, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी दीपांजन मिश्र, मुंसिफ प्रथम विवेक चंद्र वर्मा, न्यायिक दंडाधिकारी शैलेन्द्र कुमार, मनीष कुमार को पीठासीन पदाधिकारी के रूप में शामिल किया गया था।
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