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दरभंगा
मिथिलाक्षर मिथिला में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में अग्रणी : कुलपति
By Deshwani | Publish Date: 28/1/2018 8:31:07 PM
मिथिलाक्षर मिथिला में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में अग्रणी : कुलपति

दरभंगा, (हि.स.)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने कहा कि मिथिलाक्षर मिथिला में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में अग्रणी है। इसे वृहत स्तर पर जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय सप्ताह के पांचवें दिन रविवार को व्याख्यान माला का उद्घाटन करते हुए कुलपति ने यह बातें कही। 

कुलपति ने कहा कि भाषा कठिन है, लेकिन कठिन रास्ते पर चलकर ही कामयाबी मिलती है, इसलिए मिथिलाक्षर को जन-जन तक पहुंचाना गणमान्य लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज मैथिली भाषा देश की आठवीं अनुसूची में शामिल है, जिससे यूपीएससी की परीक्षाओं में मैथिली को लेकर सफल छात्रों का वृहद पैमाना भी देखने को मिल रहा है। कुलपति ने लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में ऐसे आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने सीखने वाले लोगों की ललक को देखते हुए विद्या दान की पात्रता पर भी जोर दिया। 
 
शिक्षक के बारे में कुलपति प्रो. एसके सिंह ने कहा कि शिक्षक अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन छात्र को देता है और यही गुरू-शिष्य के अटूट संबंध को दर्शाता है, इसलिए इस भाषा के पुस्तकों, पत्रिका आदि को रूपांतरित करने की भी आवश्यकता है। इससे इसके गौरवपूर्ण इतिहास को आम जन मानस जान सके। उन्होंने आश्वस्त किया कि जल्द ही मिथिला विश्वविद्यालय छह महीने का मिथिलाक्षर कोर्स शुरू करने जा रहा है। साथ ही उन्होंने संग्रहालय में मिथिला पेंटिंग और हेरिटेज धरोहरों की तस्वीरों की प्रदर्शनी को लोगों तक पहुंचाने के लिए साधुवाद दिया। 
 
मंच संचालन कर रहे संग्रहालय के सहायक संग्रहालय अध्यक्ष शिव कुमार मिश्रा ने संग्रहालय में होने वाली असुविधाओं के विषय में सभी गणमान्यों को अवगत करवाया और इस आठ दिवसीय कार्यशाला में विशेष रूप से अलका दास की मिथिला पेंटिंग और हेरिटेज फोटोग्राफर संतोष कुमार की धरोहरों की तस्वीरों पर विस्तृत चर्चा कर कार्यशाला के उद्देश्यों से परिचित करवाया। 
 
व्याख्यान के मुख्य वक्ता भैरव लाल दास ने मिथिलाक्षर के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालते हुए भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं, जिसमें मिथिलाक्षर भी शामिल है, के उद्भव और विकास के संदर्भ में विस्तारपूर्वक चर्चा की। इस विषय में उन्होंने अपने तथ्यपूर्ण विचार रखे। उन्होंने इस भाषा के विकास के लिए पुस्तकालयों के विकास पर भी जोर दिया। सभागार में लगभग 100 प्रतिभागियों ने मिथिलाक्षर और कैथी लिपि सीखने के लिए पूर्व में अपना पंजीकरण कराकर इस भाषा को सीखने की इच्छा जताई एवं अगले चार दिन तक वह विशेषज्ञों से इस भाषा को सीखने और समझने का प्रयास करेंगे। 
प्रदर्शनी में आज भी प्रदर्शनी को देखने वालों का तांता लगा रहा। इस व्याख्यान माला में शिक्षा से जुड़े कई गण्यमान्य भी उपस्थित रहे। आगत अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ से किया गया। धन्यवाद ज्ञापन शिव कुमार मिश्र ने किया।
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