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शहर के मुख्य नालों पर अतिक्रमण, लोग परेशानी झेलने को विवश
By Deshwani | Publish Date: 25/6/2017 6:35:58 PM
शहर के मुख्य नालों पर अतिक्रमण, लोग परेशानी झेलने को विवश

दरभंगा, (हि.स.)| हल्की-सी बारिश भी दरभंगा शहर को झील में तब्दील कर देती है | शुक्र है भगवान का जो विगत कई वर्षों से लगातार तेज बारिश नहीं हुई है । 19.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस शहर में जल निकासी की सबसे बड़ी समस्या है। पहले शहर का पानी सरल ढंग से बाहर निकल जाया करता था। लेकिन, अब मुश्किल हो गया है। ललित नारायण मिश्र पथ से पूरब, दरभंगा टावर, कादिराबाद आदि इलाके का पानी कंगबा गुमटी, अल्लपट्टी पुल संख्या 23 व लहेरियासराय चट्टी चौक से निकलता है। लेकिन, यहां स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही। खाली जगहों को उंचे दामों में बेचा जा रहा है। जहाँ पर समय गुजरने के साथ अब बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो गई हैं। ललित नारायण मिश्र पथ से पश्चिम वाले मोहल्ले का पानी स्लाटर हाउस, जिला स्कूल के पश्चिम नासी व सैदनगर से एकमी की ओर जाने वाली अंडर ग्राउंड आउट लेट से बागमती नदी व आस-पास के क्षेत्र से निकलता है। लेकिन, इस इलाके में भी नई आबादी तेजी से बसती जा रही है। 

जानकारों की माने तो नालों की सफाई भर से समस्या का निदान संभव नहीं है। बल्कि, शहर से पानी निकल कर कहां जाएगा, इसका पुख्ता प्रबंध किए जाना अतिआवश्यक होगा। तभी इस जल-जमाव की समस्या से निजात मिल पाना संभव हो सकता है। वर्तमान में शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा बचा हो, जहां का नाला का अतिक्रमण न किया गया हो । कहते हैं कि अतिक्रमण करने वालों में हरेक तबके के लोग शामिल हैं। आलम यह है कि घरों व दुकानों के सामने अवस्थित नालों को कई जगहों पर ढंक दिया गया है। लोग उसके ऊपर दुकान चलाते हैं। कइयों ने तो नाले पर ही घर बना लिया है। यही वजह है कि कई जगहों पर तो अब नालों का अस्तित्व खत्म-सा होता जा रहा है । 

आम लोगों का कहना है कि आबादी बढ़ने के बावजूद यदि पुराने नालों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाए, तो समस्या का निदान आसानी से संभव हो जाएगा। भंडार चौक से लेकर बेला मोड़ तक के नाले की बात करें तो नाले पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हैं । दारूभट्टी चौक के पास तिराहा नाला चर्चित था। पूनम सिनेमा रोड में नाला पर ही कई मकान बन गए हैं। लब्बोलुआब यह कि वर्तमान में अतिक्रमण की समस्या से कोई भी नाला अछूता नहीं है | शहर के ललित नारायण मिश्र पथ, पीडब्लूयूडी रोड व वीआईपी मुख्य पथ के किनारे बनाए गए नाले का निर्माण-कार्य आधा-अधूरा पड़ा है। जिन नालों के माध्यम से आस-पास बसे मोहल्लों का पानी बहना चाहिए था, लापरवाही के कारण मुख्य सड़क का पानी नीचे बसे मोहल्लों में ही बहता रहता है । नालों का निर्माण नहीं कराया गया। विगत के वर्षों में नगर निगम की योजना, मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना, सांसद, विधायक, एमएलसी कोष सहित कई योजनाओं से करोड़ों रुपये की राशि से नालों का निर्माण कराया गया है । लेकिन, गुणवत्ता की कमी के कारण व सही मानक का उपयोग नहीं होने की वजह से अधिकांश नाले ध्वस्त हो गए हैं। जो बच गए हैं वह जाम पड़े हुए हैं। शहर के मदारपुर मौलागंज, खान चौक से उर्दु जाने वाले पथ, बंगाली टोला, बलभद्रपुर, लक्ष्मीसागर, रेलवे कॉलोनी, पूनम सिनेमा रोड इत्यादि सहित कई ऐसे इलाके हैं जहां आज भी लोग पक्के नाले के लिए तरस रहे हैं। निगम में आंकड़ों में लगभग 70 किलो मीटर नालों के पक्कीकरण का कार्य अभी भी बाकी है।

कहते हैं कि नगर निगम के पास नाला सफाई करने हेतु एक भी अत्याधुनिक यंत्र उपलब्ध नहीं है । अभी भी नगर निगम अंतर्गत नाले की सफाई व्यवस्था 3 जेसीबी, 20 ट्रेक्टर व तीन पंप सेट के सहारे ही टिकी हुई है। कारणवश समुचित संसाधन के अभाव में नालों की नियमित सफाई नहीं हो पाती है। निगम के पास स्थाई व संविदा पर कुल 632 सफाई कर्मी उपलब्ध हैं जिनके कांधों पर वार्ड की सफाई करने के साथ-साथ नालों के सफाई की जिम्मेदारी भी र्निभर करती है। ऊपर से जरूरत के अनकूल सफाई उपस्कर के उपलब्ध नहीं होने से कांटा, कुदाल, बेलचा, बाल्टी, पंजा, बांस, खंती जैसे सफाई कार्य में प्रयुक्त होनेवाले उपस्करों की घोर कमी खलती रहती है ।

छोटे-छोटे नालों की सफाई तो वैसे भी भगवान भरोसे ही रहती है। माह में एक या दो बार इन नालों की सफाई हो भी जाए तो महज खानापूर्ति व दिखावे के लिए होती है। 

बहरहाल, शहर को जल जमाव से मुक्ति दिलाने के नाम पर निगम द्वारा सालाना करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। बजट प्रतिवेदन के अनकूल सालाना छह करोड़ से उपर का खर्च नाले पर किया जाता है। जिसमें कर्मियों का वेतन, उपस्कर, भाड़े के ट्रेक्टर, डीजल, मोबील, मरम्मत आदि पर किए गए खर्च को अंकित किया गया है। लेकिन फिर भी नालों की परिस्थिति देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि अब भी इसे तारणहार की प्रतीक्षा हो ।

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